मक्का के फायदे
मक्का फसल
हाइब्रिड मक्का
मक्का in English
मक्का उत्पादन में प्रथम राज्य 2020
मक्का का बीज
मक्का के औषधीय गुण। a maize in hindi
उत्पत्ति - मेक्सिको (मध्य अमेरिका)
मक्का C, पौधा व पर परागित प्रोटोएन्ड्री फसल है।अनाजों में सबसे अधिक उत्पादन क्षमता के कारण अदभुद फसल (Miracle crop) कहते है।
मक्का को अनाजों की रानी (Queen of cereals) भी कहते है। इसका दाना केरियोप्सिस कहलाता है। .
मक्का में 10 % प्रोटीन, 4.0% वसा, 70% कार्बोहाइड्रेट पाया जाता है।
उत्पादन की दृष्टि से संयुक्त राज्य अमेरिका का पहला स्थान है चीन का दूसरा स्थान है।
इसके नर पुष्प को टेसल (Tassel) कहते है तथा टेसल हटाने की प्रक्रिया Makaaको डी टेसलिग (De-tasseling) कहते है ।
मक्का में मादा पुष्पक्रम को सिल्क (Sik) कहते है तथा पौधे पर मादा पुष्पक्रम आने को सिल्किंग (Silking) कहते है। पौधों से नर पुष्प (परागकण) हटाने की क्रिया इमास्कुलेशन(Emasculation) कहलाती है ।
गुणों के आधार पर वर्गीकरण :-
1. जियामेज इन्डुरेटा
इसे फ्लिन्ट कॉर्न (Flint corn) भी कहते हैं।
यह भारत में सर्वाधिक क्षेत्र में उगाई जाती है।
2 जियामेज इन्डेनटेटा-.
इसे डेन्ट कार्न (दाँत की तरह कठोर) भी कहते है।
इसकी खेती संयुक्त राज्य अमेरिका में प्रचलन में है।
3. जियामेज सेकेरेटा
इसे स्वीट कार्न भी कहते है।
यह डिब्बाबंदी के लिए उपयुक्त है।
यह मकका अन्य के अपेक्षा मीठी होती है। इसलिए इसके भुट्टों को पकने
से पुर्व तोडकर सेक कर खाया जाता है।
इसकी प्रिया एंव माधुरी किस्में है।
इसके दानों को 170°C पर गर्म करने पर दाने फूट कर फूल जाते है। यह कार्न फ्लेक्स, पॉप कोर्न, चिप्स बनाने के काम आती है।
5. जियामेज एमाइलेसिया
इसका दाना मुलायम होता है जो आटा बनाने के काम आसा है ।
इसे पलोर मेज या सॉफ्ट कॉर्न भी कहते हैं।
6 जियामेज दयूनिकाटा -
इसे पॉड कॉर्न भी कहते है।
यह मक्का की प्राचीन किस्म है।
इसे वैक्सी कॉर्न भी कहते है।
इसमें स्टार्च की मात्रा टोपिओका (साबुदाना) के समान होती है।
अतः यह स्टार्च उत्पादन के लिए उपयुक्त है।
1. क्राउन या शीर्ष जडें नर्सरी अवस्था पर।
2. सेमिनल जड़ें (Seminal roots)- पोषण के लिए
3. प्रोप जड़ें (Prop roots/Aerial roots)- तने को सहारा प्रदान करती है।
किस्में (Varieties)
संकर किस्में (Hybrid varieties)-
गंगा-1 भारत की प्रथम संकर किस्म जो 1961 में विकसित हुई।
डक्कन-103, गंगा सफेद- 2. TITHI - 5,
पूसा संकर- 2,
रणजीत,हाई स्टार्च,
संकुल (Composite) किस्में
गंगा - 101,
बी.एल.- 54, संगम हिम-123
अम्बर, किसान, विक्रम, जवाहर सोना विजय, अगेती 76, प्रताप,
तरूण, नवजोत, नवीन, माही कंचन, माही धवन (दोनों किस्मे राजस्थान से निकाली गई है)
मक्का की संकुल किस्म लक्ष्मी 1980 में बिहार से निकाली गई।
→ मक्का की बस्सी सलेक्टेड किस्म राजस्थान के लिए उपयुक्त है।
मक्का की सफेद किस्म
गंगा सफेद, हाई स्टार्थ (1963 में)
तथा गंगा -4 (1971 में)
मक्का की ओपेक - 2 जीन वाली (Opaque -2) किस्में
→ ओपेक-2 जीन को मक्का में ट्रिप्टोफेन व लाइसीन की पूर्ती के लिए सर्वप्रथम डॉ. एस.के. वशल ने विकसित किया इसलिए इनको वर्ष 2000 में विश्व खाद्य पुरूष्कार मिला।
मक्का में ओपेक- 2 व फ्लोरी 2 जीन पाये जाते हैं।
सकर मक्का का विचार सर्वप्रथम ई.एम ईस्ट एवं जी.एच शल ने ।
डबल क्रॉस तकनिकी द्वारा मक्का का संकर बीज उत्पादन डी एफ जोन ने 1920 ई. में किया। डबल क्रॉस तकनिकी भारत में अधिक प्रचलित है।
भारत में सर्वप्रथम मक्का पर कार्य 1957 में ऑल इण्डिया कोओडिनेटिड मेज इम्प्रूवमेन्ट प्रोजेक्ट के अन्तर्गत ICAR में किया गया जिसमें गंगा-। गंगा - 101, रणजीत व ढक्कन किस्में 1961 में निकाली गई।
बीज दर (Seed Rate) -
संकर किस्मों की - 20-25 Kg/ha
संकुल किस्मों की - 18-20 Kg/ha
रबी फसल के लिए - 20-25 Kg/ha
चारे के लिए 40-50 Kg/lha
बुआई (Sowing)-
अच्छी बुआई के लिए डिबलिंग विधि काम में लेते हैं।एक हेक्टेयर में पौधों की संख्या लगभग 6 हजार होती हैं।
पौधे से पौधा व कतार से कतार की दुरी - 62 X20 cm मक्का में जिंक की पूर्ती हेतु जिंक सल्फेट @ 25kg/ha फसल बुआई से पूर्व फास्फोरस तथा पोटाश उर्वरकों के साथ देखें।
जलवायु (Climate) -
अच्छे अंकुरण के लिए 21°C तापमान आवश्यक होता है। तथा वृद्धि के लिए 32C तापमान आवश्यक होता है। मक्का की खेती रबी, जायद, खरीफ तीनों मौसमों में की जा सकती है।
सिंचाई -
जल भराव के प्रति संवेदनशील है।
जल माग 500-800 मी मी
प्रथम सिंचाई - नरमंझरी (Tasseling) आते समय। द्वितीय सिंचाई - मारामारी (Silking) आते समय सिंचाई की क्रान्तिक अवस्था- टेस्टिंग व सिल्किंग
खरपतवार (weeds) -
सावा, मकरा, कोन्दों, बन्दरा बन्दरी, दूबघास (साइनोडॉन डैक्टाइलोन). लहसुआ, हजार दाना, बरू, जंगली चौलाई आदि।
नियंत्रण -
सिमाजीन का प्रयोग करते है।
भारत में सीमाजीन का प्रयोग प्रतिबन्ध होने के कारण मक्का में एट्राजीन शाकनाशी का प्रयोग किया जाता है।
रोग (Diseases)
1. डाऊनी मिल्ड्यु (तुलासिता रोग)-
यह मक्का की प्रमुख रोग है।
यह रोग पेरेनोस्पोरेलेज मैजिस नामक कवक द्वारा फैलता है।
2. मक्का का सफेद कलिका (White bud) रोग
मक्का के पौधे के ऊपरी भाग की पत्तियां सफेद रंग की हो जाती है
रोग मुख्यत जिंक की कमी से होता है। इसकी रोकथाम के लिए जिंक सल्फेट @ 20-25 kg/ha. युआई के साथ प्रयोग करें।
ste (Insect)
सफेद लट् (White grub) -
यह मक्का की जड़ो का भयकर कीट है।
नियंत्रण
कार्योफ्युरॉन 3G या फोरेट 4G की 20-25kg की मात्रा प्रति हेक्टयर बुआईसे पूर्व देवे।
2 तना छेदक (Stem borar)- Chilo partellus
यह मक्का का प्रमुख हानिकारक कीट है
इसकी लार्वा अवस्था काफी नुकसान पहुँचाती है। जिससे पौधों में मृत अग्र प्ररोह (Dead heart) हो जाता है।
यह कीट पौधे की 1 महिने की अवस्था पर नुकसान पहुँचाना शुरू करता है।
3. तना मकड़ी - रोकथाम ज्वार फसल के अनुसार।
सकर मटका - 40 क्विंटल प्रति हेक्टेयर।
सकुल मक्का - 30-40 विवंटल प्रति हेक्टेयर
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