सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

#Toxisity ( जहर ) फसलो में इनका नही करे उपयोग

 

 
 
इस प्रकार के चित्र के मदद से आप समज सकते है की कोंसे रसायनिक में कितना जहर है व आप के लिए आप के खेतो ,जानवरों , फसलो के लिये कितना हानिकारक है हमेशा ही खेत में आवश्यकता के अनुसार ही रसायन का उपयोग करे |

                         किसी भी प्रकार की खेती से जुडी जानकारी के लिए हमे फोल्लो Organic Farming करे या यहा क्लीक करे contact

 जेसे की आप फोटो देख रहे है उस में बाएँ से दाये (1-200000) के अंक दिखाए गये है जहर में toxisity बड़ते हुए क्रम में होती है जिस की toxisity  1 से शुरु होती है उस में जहर की मात्रा सर्वाधिक होती है इस प्रकर हम को इन सभी प्रकार के जहर को किसी भी सुरक्षित स्थान पर रख सकते है व छोटे लडको व् लडकियों से इस को दूर रखे | क्यू की जहर तो जहर होता है 

तो आइये हम जानते है कोन से जहर अधिक हानिकारक है

इस प्रकार के चिन्ह वाले जहर अधिक जहरीले होते है इन की आवश्यकताके अनुसार ही प्रयोग करे इन का असर पर्यावरण में अधिक दिनों तक रहता है इन का उपयोग कम मात्रा में करना चाहिए 

और इस प्रकार की रसायनों ( जहरीले ) उत्पादों का असरकम दिनों तक रहता है व ये जल्दी समाप्त होने लग जाते है इस प्रकार के रसायनों का प्रयोग आप अपने खेतो में आसानी से कर सकते है ये खेतो के लिए सुरक्षित होते है 

 प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत किसानों को नाम मात्र का प्रीमियम भरना पड़ता है. शेष राशि केंद्र और राज्य सरकार आधी-आधी वहन करती है. खरीफ फसल के लिए किसान को बीमित राशि का 2 प्रतिशत प्रीमियम भरना पड़ता है, जबकि रबी फसल के लिए उन्हें बीमित राशि का डेढ़ प्रतिशत प्रीमियम चुकाना पड़ता है.

 


 

टिप्पणियाँ

एक टिप्पणी भेजें

thanks for visit our bloge

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

WHEAT( गेहू )

गेहू गेहू व जों  रबी की  फसले है इस कारण इन  दोनों फसलो में उगने वाला खरपतवार भी समान प्रकार का ही उगता है इन के खरपतवार को जड से खत्म नही किया जा सकता है इन फसलो में उगने वाले खरपतवार इस प्रकार है  खेत की जुताई जब खरीफ की फसल की कटाई हो जाती है तो खेत में पड़े अवशेष को जलाये नही व उस अवशेष को खेत में है ही कल्टीवेटर से खेत में मिला दे | इससे खेत में मर्दा की उर्वरक की मात्रा बढ जाती है | खेत की  जुताई 2-3 बार जरुर करे | गेहू की मुख्ये किस्मे 1482,LOK1,4037,4042,DBW303, WH 1270, PBW 723 & सिंचित व देर से बुवाई के लिए DBW173, DBW71, PBW 771, WH 1124,DBW 90 व HD3059 की बुवाई कर सकते हैं। जबकि अधिक देरी से बुवाई के लिए HD 3298  उर्वरक की मात्रा   DAP------ 17 से 20 किलो/बीघा                                 👈 seed treatmeant सोयाबीन यूरिया------25 से 35 किलो/बीघा                                                     👈 जैविक खेती की जानकारी| बुवाई व बीज दर खाली खेत में जुताई के बाद एक बार पिलवा कर 8 से 10 दिन का भथर आने तक छोड़ दे इस से बीज को उगने में आसानी होगी |बीज को खेत में डालने से

कृषि में बायो प्रोधोगिकी की भूमिका Role of bio-technology in agriculture )Organic farming information in hindi जैविक खेती की जानकारी| (सुपर गेहू (Super wheat),Transgenic plants,Bt. Cotton,Golden rice,Hybrid Rice,डॉ. एम. एस स्वामीनाथन,)

  1. सुपर गेहू (Super wheat) - गैहू अनुसंधान निदेशालय (WDR) करनाल, हरियाणा द्वारा गेहूँ की किस्मों में 15 से 20 प्रतिशत उपज में बढ़ोत्तरी लाई गई जिसे सुपर नाम दिया गया। 2. ट्रांसजैनिक पादप (Transgenic plants) - पौधों की आनुवांशिक संरचना अर्थात जीन में बदलाव लाने को आनुवांशिक रूपान्तरित पादप कहते हैं परम्परागत पौधों की किस्मों में एक और एक से अधिक अतिरिक्त जीन जो मनुष्य के लिए लाभदायक हो जैव प्रौद्योगिकी द्वारा कृत्रिम रूप से पौधों में डाली जाती है। जैसे बीटी कपास, बीटी बैंगन, बीटी तम्बाकू, बीटी मक्का, रूपान्तरित सोयाबीन, रूपान्तरित सरसों एवं सुनहरा धान विश्व की पहली ट्रांसजैनिक फसल तम्बाकु (1987) थी। विश्व में ट्रांसजैनिक फसल उगाने में USA का प्रथम स्थान (44%) है बाद में ब्राजील (25%), अर्जेन्टीना (15%), भारत का चौथा स्थान है (7%) एंव चीन का छंटवा स्थान (2%) है। विश्व में ट्रांसजैनिक फसल उत्पादन में सोयाबीन का प्रथम स्थान (50%) है इसके बाद मक्का (23%) एवं कपास (14%) का क्रमशः द्वितीय व तृतीय स्थान है। विश्व में ट्रांसजैनिक फसलों का उत्पादन सबसे अधिक शाकनाशी रोधी जीनों (Her

लहसुन प्राकृतिक खेती के तरीकों में Garlic की खेती,किस्मों,मौसम,बीज और बीजाई,बीज उपचार,उर्वरक,लहसुन विकास नियामक,सिंचाई,रोपण के बाद खेती के तरीके,कीड़े,रोगों,मृदा जनित रोग,लहसुन की रबर प्रकृति, कटाई, पैदावार

  garlic लहसुन प्राकृतिक खेती के तरीकों में Garlic की खेती किस्मों मेट्टुपालयम प्रकार (100 दिन) ऊटी 1 (130 दिन)   मौसम कर्पोकम: (अप्रैल - मई) कट्टीपोकम: (अक्टूबर - नवंबर)   पानी फिल्टर सुविधा के साथ गाद मिट्टी दोमट मिट्टी खेती के लिए उपयुक्त है। ठंड का मौसम खेती के लिए पर्याप्त है।   बीज और बीजाई: जमीन की जुताई करने के लिए। बार्स को 15 सेमी जगह तैयार किया जा सकता है। रोपण 7.5 सेमी स्थान पर किया जाना चाहिए। बीज दर: 1750 किग्रा / हे   बीज उपचार: लहसुन के बीज को 1% को 3% पंचगव्य, टकाकव्या, 4% स्यूडोमोनस फ्लोरसेंस, 4% ट्राइकोडर्मा विराइड, 4% अजोस्पिरिलम और 4% फॉस्फोबिया विलयन के साथ डुबोना चाहिए और फिर छाया में सुखाना चाहिए।   उर्वरक खेत में हरी खाद और एक प्रकार का पौधा तथा फूल आने के समय मिट्टी जुताई करनी चाहिए। पैमाने पर उतरने की तैयारी करते समय अच्छी तरह से विघटित खेत की खाद 50 टी / हेक्टेयर लगाई जा सकती है। भूमि तैयार करते समय जैविक रूप से विघटित खाद 5 टन / हेक्टेयर लगाई जा सकती है। पैमाने पर उतरने की तैयारी करते समय वर्मीकम्पोस्ट 5 टन / हे। 5 टन मशरूम खाद खाद को