येल्लो मस्टर्ड (Yellow Mustard) की प्रमुख किस्में निम्नलिखित हैं
- पसीना
- श्वेता
- राधा
- चित्रा
- रुक्मिणी
- अरुणा
- स्वर्णा
- प्रिया
- स्मृति
- वैशाली
ये किस्में विभिन्न जलवायु और मिट्टी की स्थितियों के अनुसार उपयुक्त होती हैं और इन्हें भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (ICAR) एवं अन्य कृषि संस्थानों द्वारा विकसित किया गया है।
येल्लो मस्टर्ड (सरसों) की फसलों पर विभिन्न प्रकार के रोग लग सकते हैं, जिनमें से मुख्य रोग निम्नलिखित हैं:
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सफेद रतुआ (White Rust)
- यह रोग पत्तियों और तनों पर सफेद धब्बों के रूप में दिखाई देता है।
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झुलसा रोग (Alternaria Blight)
- यह रोग पत्तियों, तनों और फलों पर गहरे भूरे या काले धब्बे बनाता है।
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तना गलन (Stem Rot)
- इस रोग में तना गलने लगता है, जिससे पौधा सूख सकता है।
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जड़ गलन (Root Rot)
- यह रोग पौधों की जड़ों को नुकसान पहुंचाता है, जिससे पौधा कमजोर होकर सूख सकता है।
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चूर्णी फफूंदी (Powdery Mildew)
- इस रोग में पत्तियों और तनों पर सफेद पाउडर जैसा पदार्थ बनता है।
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सफेद फफूंदी (Downy Mildew)
- यह रोग पत्तियों के निचले हिस्से में सफेद फफूंदी के रूप में दिखाई देता है।
इन रोगों का समय पर उपचार और रोकथाम आवश्यक है, जैसे कि उचित फफूंदनाशकों का उपयोग और फसल चक्र अपनाना।
येल्लो मस्टर्ड (सरसों) की फसल पर कई प्रकार के कीट लग सकते हैं, जो फसल को नुकसान पहुंचाते हैं। मुख्य कीट निम्नलिखित हैं:
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अफीदा (Aphids)
- ये छोटे हरे या काले रंग के कीट होते हैं, जो पौधों की कोमल पत्तियों और फूलों का रस चूसते हैं, जिससे पौधा कमजोर हो जाता है।
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पत्ती छेदक सुंडी (Cabbage Caterpillar)
- ये कीट पत्तियों को खाकर छेद बना देते हैं, जिससे पौधे की पत्तियों का सतही हिस्सा नष्ट हो जाता है।
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जड़ मक्खी (Mustard Sawfly)
- ये कीट पौधों की जड़ों को नुकसान पहुंचाते हैं, जिससे पौधा कमजोर होकर गिर सकता है।
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तना छेदक कीट (Stem Borer)
- यह कीट तने के अंदर छेद बनाकर पौधे को कमजोर कर देता है, जिससे पौधा सूखने लगता है।
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फली मक्खी (Pod Borer)
- ये कीट फली में छेद करके अंदर के बीजों को नुकसान पहुंचाते हैं, जिससे बीज खराब हो जाते हैं।
इन कीटों की रोकथाम के लिए कीटनाशकों का सही उपयोग, जैविक विधियों का पालन, और फसल चक्र अपनाना जरूरी होता है।
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