सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

wheat crop full cultivation गेहूँ की खेती

 Five mutant varieties of wheat

Phone number of all wheat seeds plant

Peeled wheat manufacturers in UP 

                                              गेहूँ की खेती

गेहूँ की खेतीआधार बीज तैयार करने के लिये प्रजनक बीज किसी प्रमाणीकरण संस्था के मान्य स्रोत से प्राप्त किया जा सकता है। बोने से पहले थैलों पर लगे लेबल से बीज के किस्म की शुद्धता की जाँच कर लेनी चाहिए और लेबल को सम्भालकर रखना चाहिए।

अधिक जानकारी के लिए यहाँ पर क्लिक करे       👉👉👉👉👉👉👉👉 गेहू wheat

निबन्धन

फलों का झड़ना : समस्या एवं निदान Fruit Loss: Problems and DiagnosisAGRICULTURE SEEDS TREATMEANT METHODS (बीज उपचार के तरीके ) TNAU इंडिया


जिस खेत में बीजोत्पादन करना हो उसका निबन्धन राज्य बीज प्रमाणीकरण संस्था द्वारा करवाना चाहिए। गेहूँ स्वंय- परागित फसल है, अतः प्रमाणित बीज उत्पादन के लिये प्रमाणीकरण शुल्क मात्र 175 रुपया प्रति हेक्टेयर एवं निबन्धन शुल्क 25 रुपया प्रति हेक्टेयर है।

खेत का चयन


गेहूँ के बीज उत्पादन के लिये ऐसे खेत का चुनाव करना चाहिए, जिसमें पिछले मौसम में गेहूँ न बोया गया हो। अगर विवशतावश वही खेत चुनाव करना पड़े तो उसी प्रभेद को उस खेत में लगाना चाहिए जो कि पिछले मौसम में बोया गया था और बीज की आनुवंशिक शुद्धता प्रमाणीकरण मानकों के अनुरूप थी। खेत की मृदा उर्वक, दोमट हो एवं जल निकास की अच्छी व्यवस्था होनी चाहिए।

उन्नत प्रभेद


उत्पादन तकनीकी का सबसे अहम पहलू उपयुक्त किस्म का चुनाव होता है। झारखण्ड राज्य के लिये अनुशंसित किस्में सिंचित समय पर बुआई के लिये एच.यू.डब्ल्यू. 468, के 9107 एवं बिरसा गेहूँ 3 हैं। इन किस्मों की उपज क्षमता 40-45 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है। सिंचित विलम्ब से बुआई के लिये एच.यू.डब्ल्यू. 234, एच.डी. 2643 (गंगा) एवं बिरसा गेहूँ 3 है। इनकी उपज क्षमता 35-40 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है।

पृथक्करण


गेहूँ एक स्वंय- परागित फसल हैं अतः बीजोत्पादन के लिये गेहूँ के एक खेत से दूसरे प्रभेद के खेतों से दूरी कम-से-कम 3 मीटर होनी चाहिए। लेकिन अनावृत्त कण्ड (लूज स्मट) से सक्रंमित गेहूँ रोग से बचाव के लिये न्यून्तम पृथक्करण दूरी 150 मीटर रखना चाहिए, अन्यथा आपके खेत भी संक्रमित हो सकते हैं।
 

गेहू की किस्मे     

भारत में उगाई जाने वाली गेहूं की मुख्य किस्में इस प्रकार हैं VL-832,VL-804, HS-365, HS-240 , HD2687,WH-147, WH-542, PBW-343, WH-896(d), PDW-233(d), UP-2338, PBW-502, Shresth (HD 2687), Aditya (HD 2781), HW-2044, HW-1085, NP-200(di), HW-741.
 
Mutant of NP 200
COW(W)1, TNAU Samba Wheat COW 2 

Season

Ideal sowing time is 15th October to 1st week of November

बीज दर एवं बीजोपचार


बीजोत्पादन के लिये बीज कम मात्रा में प्रयोग किया जाता है। इसके लिये 90-100 किलोग्राम बीज प्रति हेक्टेयर उपयुक्त है। सीड ड्रील से गेहूँ की बुआई करनी चाहिए, इससे समय के साथ-साथ पैसे की भी बचत होती है। बीज हमेशा विश्वसनीय संस्थानों से ही खरीदना चाहिए। बुआई के पहले बीज को फफूंदी नाशक दवा विटावेक्स या रैक्सिल 2.5 ग्राम प्रति किलो बीज की दर से उपचारित करना चाहिए।

बुआई का समय


सिंचित अवस्था में समय से बुआई के लिये उपयुक्त समय 1 नवम्बर से 15 नवम्बर एवं सिंचित विलम्ब से बुआई के लिये उपयुक्त समय 1 दिसम्बर से 25 दिसम्बर तक।

रासायनिक उर्वरकों का प्रयोग


अच्छी उपज हेतु उन्नत प्रभेदों के लिये 220 किलो ग्राम यूरिया, 312 किलोग्राम सिंगल सुपर फॉस्फेट एवं 42 किलोग्राम म्यूरेट ऑफ पोटाश प्रति हेक्टर की दर से व्यवहार करें। यूरिया की आधी मात्रा तथा सिंगल सुपर फॉस्फेट एवं म्यूरेट ऑफ पोटाश की पूरी मात्रा बुआई के समय दें। यूरिया की शेष आधी मात्रा बुआई के 20-25 दिनों (पहली सिंचाई) के बाद उपरिवेशन के द्वारा डालें। मिट्टी के जाँच के आधार पर ये मात्राएँ कम की जा सकती हैं। दाना बनते समय यूरिया के 2.5 प्रतिशत घोल का छिड़काव करने से दाने का विकास अच्छा होता है।

सिंचाई


बीज उत्पादन के लिये कम-से-कम छः सिंचाई की आवश्यकता होती है। प्रथम सिंचाई मुख्य जड़ बनना शुरू होने पर (बुआई से 20-25 दिन बाद), दूसरी सिंचाई कल्ले फूटने के समय (बुआई से 40-45 दिन बाद), तीसरी गाँठ बनने की अन्तिम अवस्था (बुआई से 60-65 दिन बाद), दिन बाद, चौथी फूल आने के समय (बुआई से 80-85 दिन बाद), पाँचवीं सिंचाई दूध भरते समय (बुआई से 100- 105 दिन बाद) और छठवीं सिंचाई (बुआई से 110-115 दिन बाद) दाने सख्त होने पर करनी चाहिए। अगर वर्षा हो जाये तो उस सिंचाई को नहीं भी कर सकते हैं। सिंचाई की संख्या भूमि की किस्म पर भी निर्भर करता है, अगर भूमि बलुई हो तो सिंचाई अधिक करनी पड़ती है।

खरपतवार नियंत्रण


उच्च गुणवता वाले बीजोत्पादन के लिये खरपतवार नियंत्रण प्रभावी तरीके से किया जाना आवश्यक है। खरपतवार बीजों की उपज तथा गुणवत्ता को काफी हद तक प्रभावित करते हैं तथा फसलों के बीज को दुषित करते हैं। चौड़ी पत्ती वाले खरपतवारों को नष्ट करने के लिये 2,4 डी. 0.5 किलोग्राम 750 लीटर पानी में घोलकर प्रति हेक्टेयर बुआई के 25-30 दिन बाद छिड़काव करें। फेलरिस माइनर घास गेहूँ के साथ अंकूरित होता है और बाली आने से पहले पहचानना कठिन होता है, अतः इसकी रोकथाम के लिये गेहूँ की बुआई के 30 दिन बाद आइसोप्रोट्यूरॉन (75 डब्ल्यू.पी.) एक किलोग्राम सक्रिय तत्व प्रति हेक्टेयर 700-800 लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़कना चाहिए।

 Five mutant varieties of wheat

Phone number of all wheat seeds plant

Peeled wheat manufacturers in UP 

रोग नियंत्रण


काला किट्ट (हरदा)


इस रोग के मुख्य लक्षण तनों, पत्तियों एवं पर्णच्छदों पर लम्बे, लाल-भूरे से काले रंग के धब्बे दिखाई पड़ते हैं जो जल्द फट जाते हैं और भूरा चूर्ण निकलता है। इसके नियंत्रण के लिये जिनेब या इण्डोफिल एम 45 का 0.2 प्रतिशत घोल बनाकर 15 दिनों के अन्तराल पर छिड़काव करें।

अनावृत कण्ड (लूज स्मट)


इस रोग से ग्रस्त पौधों की सभी बलियाँ काले चूर्ण का रूप ले लेती हैं, और उनमें दाने नहीं बनते हैं। इस रोग से बचाव के लिये बीजों का बीजोपचार कवकनाशी दवा से करें।

हेलमेन्थोस्पोरियम


इस रोग से ग्रस्त पौधों के पत्तियों पर पीली धारियाँ हो जाती हैं एवं बाद में धारियों का रंग भूरा हो जाता है। बीज का बीजोपचार बैविस्टीन या थीरम 2 ग्राम प्रति किलो बीज के दर से करना चाहिए।

कीट नियंत्रण


कीड़ों से बचाव के लिये 1-1.25 लीटर थायोडॉन या 750 मि.ली. इकालक्स (25 प्रतिशत ई. सी.) का छिड़काव करें। दीमक से बचाव के लिये क्लोरपाइरीफॉस 20 ई.सी. से बीजोपचार करें। एक किलो गेहूँ के बीज के लिये 5 मि. ली. क्लोरपाइरीफॉस दवा की आवश्यकता होती है। खेत की अन्तिम तैयारी के समय लिन्डेन 25 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर का व्यवहार करें। खड़ी फसल में दीमक का आक्रमण होने पर क्लोरपाइरीफॉस 20 ई.सी. दवा की मात्रा 2.5 लि. 800-1000 लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़कना चाहिए।

अवांछनीय पौधों को निकालना


एक ही प्रभेद में अलग तरह के दिखने वाले पौधों को जड़ से उखाड़कर खेत से हटा देना चाहिए। यह बीजोत्पादन के लिये बहुत ही महत्त्वपूर्ण प्रक्रिया है। भिन्न से दिखने वाले पौधे किसी दूसरी किस्म के हो सकते हैं, इसलिये इन्हें समय-समय पर हटाते रहना चाहिए। पौधों की ऐसी असमानता पौधे की ऊँचाई, पत्तियों की बनावट, फूल खिलने तथा फसल पकने की अवधि आदि में दिखाई देता है। गेहूँ के कंडुवाग्रस्त पौधों को उनमें बालों के समय पहचानकर निकाला जाता है। कंडुवाग्रस्त पौधों की बालियों को पहले लिफाफे के निचले हिस्से को मुट्ठी से बन्द करने के बाद उखाड़ना चाहिए, जिससे उखाड़ते समय बीजाणु खेत में नहीं गिरेंगे। बाद में उन्हें जला या गड्ढों में दबा देना चाहिए।

बीज फसल का निरीक्षण


बीज फसल के खेतों के पौधों तथा आपत्तिजनक खरपतवारों की उपस्थिति, पृथक्करण दूरी तथा रोग के आँकड़े एकत्र कर यह देखा जाता है कि वह निर्धारित मानकों के अनुरूप है या नहीं। प्रायः निरीक्षण का कार्य बुआई के समय, पुष्पन पूर्व, पुष्पन अवस्था पर, फसल पकते समय एवं कटाई के समय किये जाते हैं। बीज निरीक्षण द्वारा सभी पहलूओं के सही होने पर तथा बीजों की स्वस्थता एवं शुद्धता पर ही बीज प्रमाणीकरण एजेंसी द्वारा आधार बीज के लिये सफेद टैग एवं प्रमाणित बीज के लिये नीला टैग निर्गत किया जाता है।

फसल की कटाई


बीज फसल की कटाई करते समय बीज में नमी की मात्रा 15 प्रतिशत से अधिक नहीं होनी चाहिए। फसलों की कटाई तथा दौनी के समय बहुत ही सावधानी बरतने की आवश्यकता है, क्योंकि बीजों में खरपतवार के बीज मिल सकते हैं। खलिहान साफ-सुथरा होने चाहिए, अगर खलिहान पक्का हो तो और भी अच्छा है जिससे अक्रिय पदार्थों की मात्रा कम हो जाएगी। ऐसा नहीं होने से बीज दूषित हो जाते हैं तथा उनकी गुणवत्ता का स्तर गिर जाता है।

दौनी


बीज फसल की विभिन्न किस्मों की दौनी अलग खलिहान में करनी चाहिए जिससे अपमिश्रण नहीं होने पाये। दौनी का कार्य तब शुरू करें जब बीज में नमी की मात्रा 14 प्रतिशत से कम हो जाये। दौनी से पूर्व दौनी यंत्र को अच्छी तरह साफ कर लेना चाहिए, जिससे उसमें पहले दौनी की गई किस्म के दाने न रह गए हों। पुनः ग्रेडर के द्वारा शुद्ध एवं स्वस्थ बीजों को अलग कर लेना चाहिए तथा खखरी, धूल, भूसा खराब एवं हल्के दाने, कंकड़, पत्थर इत्यादि को हटा देना चाहिए। पुनः बीजों को अच्छी तरह सूखा लें एवं नमी की मात्रा 10-12 प्रतिशत से ज्यादा नहीं रहने दें। इसके बाद बीजोपचार के लिये वीटावेक्स 75 डब्लू.पी. की 2.5 ग्राम प्रति किलो बीज या रैक्सिल 2 डी.एस. को 1.5 ग्राम प्रति किलो बीज की दर से प्रयोग करें। अब बीजों को साफ-सुथरे बोरों में पैक करें तथा प्रत्येक बोरों में 40 किलोग्राम बीज रखें।

बोराबन्दी तथा लेबलिंग


बीजोपचार के बाद बीजों कोे उचित आकार के बोरों में भरा जाता है। इन बोरों पर निम्नलिखित जानकारियाँ होती हैं जैसे प्रभेद का नाम, बीज का प्रकार आनुवांशिक शुद्धता, अंकुरण प्रतिशत अंकुरण क्षमता के परीक्षण की तिथि, अक्रिय पदार्थों का प्रतिशत, बीज भरने की तिथि।

 Five mutant varieties of wheat

Phone number of all wheat seeds plant

Peeled wheat manufacturers in UP 

भण्डारण


बीज भण्डारण के लिये गोदाम ऊँचे स्थान पर होना चाहिए, फर्श कंक्रीट का बना हो, दीवारों में दरार न हों, सुरक्षित एवं स्वच्छ होना चाहिए। बोरे दीवारों से सटे नहीं होने चाहिए। पन्द्रह से बीस दिन के अन्तराल पर गोदाम निरीक्षण करते रहना चाहिए।

 


 

 Five mutant varieties of wheat

Phone number of all wheat seeds plant

Peeled wheat manufacturers in UP 

 

 

यह डाटा कॉपीराइट्स है इस डाटा को यहाँ से कॉपी किया गया है इस पोस्ट कामुख्य उदेश्य सिर्फशिक्षा है 

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

WHEAT( गेहू )

गेहू गेहू व जों  रबी की  फसले है इस कारण इन  दोनों फसलो में उगने वाला खरपतवार भी समान प्रकार का ही उगता है इन के खरपतवार को जड से खत्म नही किया जा सकता है इन फसलो में उगने वाले खरपतवार इस प्रकार है  खेत की जुताई जब खरीफ की फसल की कटाई हो जाती है तो खेत में पड़े अवशेष को जलाये नही व उस अवशेष को खेत में है ही कल्टीवेटर से खेत में मिला दे | इससे खेत में मर्दा की उर्वरक की मात्रा बढ जाती है | खेत की  जुताई 2-3 बार जरुर करे | गेहू की मुख्ये किस्मे 1482,LOK1,4037,4042,DBW303, WH 1270, PBW 723 & सिंचित व देर से बुवाई के लिए DBW173, DBW71, PBW 771, WH 1124,DBW 90 व HD3059 की बुवाई कर सकते हैं। जबकि अधिक देरी से बुवाई के लिए HD 3298  उर्वरक की मात्रा   DAP------ 17 से 20 किलो/बीघा                                 👈 seed treatmeant सोयाबीन यूरिया------25 से 35 किलो/बीघा                                                     👈 जैविक खेती की जानकारी| बुवाई व बीज दर खाली खेत में जुताई के बाद एक बार पिलवा कर 8 से 10 दिन का भथर आने तक छोड़ दे इस से बीज को उगने में आसानी होगी |बीज को खेत में डालने से

कृषि में बायो प्रोधोगिकी की भूमिका Role of bio-technology in agriculture )Organic farming information in hindi जैविक खेती की जानकारी| (सुपर गेहू (Super wheat),Transgenic plants,Bt. Cotton,Golden rice,Hybrid Rice,डॉ. एम. एस स्वामीनाथन,)

  1. सुपर गेहू (Super wheat) - गैहू अनुसंधान निदेशालय (WDR) करनाल, हरियाणा द्वारा गेहूँ की किस्मों में 15 से 20 प्रतिशत उपज में बढ़ोत्तरी लाई गई जिसे सुपर नाम दिया गया। 2. ट्रांसजैनिक पादप (Transgenic plants) - पौधों की आनुवांशिक संरचना अर्थात जीन में बदलाव लाने को आनुवांशिक रूपान्तरित पादप कहते हैं परम्परागत पौधों की किस्मों में एक और एक से अधिक अतिरिक्त जीन जो मनुष्य के लिए लाभदायक हो जैव प्रौद्योगिकी द्वारा कृत्रिम रूप से पौधों में डाली जाती है। जैसे बीटी कपास, बीटी बैंगन, बीटी तम्बाकू, बीटी मक्का, रूपान्तरित सोयाबीन, रूपान्तरित सरसों एवं सुनहरा धान विश्व की पहली ट्रांसजैनिक फसल तम्बाकु (1987) थी। विश्व में ट्रांसजैनिक फसल उगाने में USA का प्रथम स्थान (44%) है बाद में ब्राजील (25%), अर्जेन्टीना (15%), भारत का चौथा स्थान है (7%) एंव चीन का छंटवा स्थान (2%) है। विश्व में ट्रांसजैनिक फसल उत्पादन में सोयाबीन का प्रथम स्थान (50%) है इसके बाद मक्का (23%) एवं कपास (14%) का क्रमशः द्वितीय व तृतीय स्थान है। विश्व में ट्रांसजैनिक फसलों का उत्पादन सबसे अधिक शाकनाशी रोधी जीनों (Her

लहसुन प्राकृतिक खेती के तरीकों में Garlic की खेती,किस्मों,मौसम,बीज और बीजाई,बीज उपचार,उर्वरक,लहसुन विकास नियामक,सिंचाई,रोपण के बाद खेती के तरीके,कीड़े,रोगों,मृदा जनित रोग,लहसुन की रबर प्रकृति, कटाई, पैदावार

  garlic लहसुन प्राकृतिक खेती के तरीकों में Garlic की खेती किस्मों मेट्टुपालयम प्रकार (100 दिन) ऊटी 1 (130 दिन)   मौसम कर्पोकम: (अप्रैल - मई) कट्टीपोकम: (अक्टूबर - नवंबर)   पानी फिल्टर सुविधा के साथ गाद मिट्टी दोमट मिट्टी खेती के लिए उपयुक्त है। ठंड का मौसम खेती के लिए पर्याप्त है।   बीज और बीजाई: जमीन की जुताई करने के लिए। बार्स को 15 सेमी जगह तैयार किया जा सकता है। रोपण 7.5 सेमी स्थान पर किया जाना चाहिए। बीज दर: 1750 किग्रा / हे   बीज उपचार: लहसुन के बीज को 1% को 3% पंचगव्य, टकाकव्या, 4% स्यूडोमोनस फ्लोरसेंस, 4% ट्राइकोडर्मा विराइड, 4% अजोस्पिरिलम और 4% फॉस्फोबिया विलयन के साथ डुबोना चाहिए और फिर छाया में सुखाना चाहिए।   उर्वरक खेत में हरी खाद और एक प्रकार का पौधा तथा फूल आने के समय मिट्टी जुताई करनी चाहिए। पैमाने पर उतरने की तैयारी करते समय अच्छी तरह से विघटित खेत की खाद 50 टी / हेक्टेयर लगाई जा सकती है। भूमि तैयार करते समय जैविक रूप से विघटित खाद 5 टन / हेक्टेयर लगाई जा सकती है। पैमाने पर उतरने की तैयारी करते समय वर्मीकम्पोस्ट 5 टन / हे। 5 टन मशरूम खाद खाद को