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WHEAT( गेहू ) गेहू के पोषक तत्व, गेहू में लगने वाले रोग,खरपतवारो से होने वाली हानिया,गेहू की मुख्ये किस्मे|

गेहू


गेहू व जों  रबी की  फसले है इस कारण इन  दोनों फसलो में उगने वाला खरपतवार भी समान प्रकार का ही उगता है इन के खरपतवार को जड से खत्म नही किया जा सकता है इन फसलो में उगने वाले खरपतवार इस प्रकार है 

खेत की जुताई

जब खरीफ की फसल की कटाई हो जाती है तो खेत में पड़े अवशेष को जलाये नही व उस अवशेष को खेत में है ही कल्टीवेटर से खेत में मिला दे | इससे खेत में मर्दा की उर्वरक की मात्रा बढ जाती है | खेत की  जुताई 2-3 बार जरुर करे |

गेहू की मुख्ये किस्मे

1482,LOK1,4037,4042,DBW303, WH 1270, PBW 723 & सिंचित व देर से बुवाई के लिए DBW173, DBW71, PBW 771, WH 1124,DBW 90 व HD3059 की बुवाई कर सकते हैं। जबकि अधिक देरी से बुवाई के लिए HD 3298 

उर्वरक की मात्रा 

DAP------ 17 से 20 किलो/बीघा                                 👈 seed treatmeant सोयाबीन

यूरिया------25 से 35 किलो/बीघा                                                    👈जैविक खेती की जानकारी|

बुवाई व बीज दर

खाली खेत में जुताई के बाद एक बार पिलवा कर 8 से 10 दिन का भथर आने तक छोड़ दे इस से बीज को उगने में आसानी होगी |बीज को खेत में डालने से पूर्व एक बार गहरी जुताई करे | व

इसके बाद खेत में 20- 24 किलो प्रति बिघ के हिसाब से बीज को 17से 20 किलो DAP के साथ मिलाये व सीड ड्रील की मदद से खेत में बुआई करे 

सिचाई

गेहू की फसल में सिचाई बहुत जरूरी है इस लिए गेहू की फसल में पहली सिचाई 25-30दिन के अन्तराल में करे |

व उस के बाद दूसरी सिचाई में  URIYA के साथ सिचाई करे | तीसरी सिचाई 65- 70 दिन पर व चोथी सिचाई  90 दिन पर करे |

अंतिम सिचाई के साथ आप अच्छे फफुन्दिनाश्क का प्रयोगभी क्र सकते है इस से आप के दानो में करनालबंट रोग नही लगेगा |

खरपतवार

गेहू में कही प्रकार के खरपतवार उगते है जो निम्न्प्रकर हो

> बथुआ,कृषनील ,चाटरी,गेंगला,मुनमुना,हिरनखुरी,सोया,सैंजी,प्याजी,मडूसी,या गेहुसा (फेलोरिस माइनर),कटीली ,जगली जई,मोथा,दुबघांस आदि |

खरपतवारो से होने वाली हानिया

फसलो की पैदावार में विशेष रूप से किट, पशू,व पादप से व्याधियो की अपेक्षा अधिया  हानि होती  है | यह अनुमान लगाया गया है किखरपतवारो से पैदावार में होने वाली कमी अन्य उपयुक्त तीनो कारको से पैदावार में होने वाली कमी की तुलना में अधिक होती है | खरपतवार विभिनन रूपों में हनी कर्क होते है |

इन की रोकथाम के उपाए |

1 - गेहूं एक प्रकार से सकरी पत्ती वाली फसल है इसफसल में सकरी व चोडी पत्ती वाले खरपतवार अधिल उगते है इस लिए इस पर प्रकार के खरपतवारो के लिए बुवाई से पूर्व अछी तरह घहरा जोते |

2- रसायनों के प्रयोग से भी गेहू की फसल में उगने वाले खरपतवारो को समाप्त किया जाता है जो इस प्रकार है 

   2-4-D Ethyl Ester  38% EC इस प्रकार के रसायन का उपयोग चोडी पती वाले खरपतवार जो सकरी पत्ती वाली फसलो में उगते है को सम्पत करने के लिए किया जाता है 

2-4-D Amine Salt 58% SL इस रसायन को गेहू के आस -पास अगर चोडी पत्ती वाली फसल जेसे - चना,सरसों,बेल वाली सब्जी , सोयाबीन,उडद,मुंग,कपास,हो तो इस का प्रयोग क्र सकते है  | क्यू की     2-4-D Ethyl Ester  38% ECअधिकहानिकारकहैचोडीपत्तीवालेपोधोकेलिए |
Butachlor 50% EC इस रसायन का उपयोग फसल के साथ उगने वाले खरपतवारो को समाप्त करने के लिए किया जाता है |
 
खरपतवार क्या हैं? हम उन्हें कैसे नियंत्रित कर सकते हैं?
 
 फसलों के साथ उगने वाले अवांछनीय पौधों को खरपतवार कहा जाता है। ये खरपतवार, फसलों को प्रदान किए गए पोषक तत्वों पर भोजन करते हैं और इस प्रकार फसलों को पोषक तत्वों की आपूर्ति को कम करते हैं, जिससे उनकी वृद्धि में बाधा उत्पन्न होती है। पौधों की वृद्धि को बढ़ाने के लिए इन खरपतवारों की वृद्धि को सीमित करने की आवश्यकता है।
 
निराई खरपतवार को हटाने की प्रक्रिया को निराई कहा जाता है। इसे प्राप्त करने के लिए, वेदिकेइड्स को नियोजित किया जाता है, जो अनिवार्य रूप से खरपतवार को नष्ट करने के लिए विशेष रूप से रसायन होते हैं। वे नियमित रूप से बोने और फूलने से पहले छिड़के जाते हैं।
 
 निराई करने की विधियाँ कुछ महत्वपूर्ण निराई के तरीके नीचे सूचीबद्ध हैं
 
 खरपतवारनाशी का उपयोग करके खरपतवारों को नियंत्रित किया जा सकता है: 
यह एक रसायन है, जिसे सभी उपलब्ध खरपतवारों को मारने के लिए खेतों में छिड़का जाता है। खरपतवार फसलों के लिए हानिकारक नहीं हैं। फसलों की बुवाई से पहले खरपतवार निकालने से भी खरपतवारों को दूर करने में मदद मिलती है: खरपतवारों को हटाने से खरपतवारों को नष्ट किया जाता है। खरपतवारों को हटाने का सबसे अच्छा समय फूलों और बीजों के उत्पादन से पहले है। 
 
खरपतवार निकालने की मैनुअल विधि खुरपी की मदद से होती है। इसमें जमीन के करीब खरपतवारों को नियमित रूप से उखाड़ना या काटना शामिल है।
 
मैनुअल विधि: 
मैदान घूमना और मातम बाहर निकालना।
यांत्रिक तरीकों से: खेत के माध्यम से ट्रॉवेल का उपयोग करना जो फसल की पंक्तियों के बीच की जगह को भर देगा और मातम को काट / मार देगा। खरपतवार को हम रसायनिक विधियों से भी समाप्त कर सकते है 
 
 जिनके नाम व प्रतिशत इस प्रकार है
 
Formulation Bulk Sales
 
 2,4-D AMINE SALT 58% SL 
2,4-D ETHYL ESTER 20% WP 
2,4-D ETHYLESTER 38% EC 
2,4-D SODIUM SALT 80% WP
 AMMONIUM SALT OF GLYPHOSATE 71% SG 
ANILOFOS 24% + 2, 4-D ETHYL ESTER 32% EC 
ANILOFOS 30% 
EC ATRAZINE 50% WP
 BUTACHLOR 5% GR 
BUTACHLOR 50% EC 
BUTACHLOR 50% EW 
CHLORIMURON ETHYL 25% 
WP FENOXAPROP-P-ETHYL 10% EC 
GLYPHOSATE 41% SL 
IMAZETHAPYR 10% SL 
ISOPROTURON 75% WP 
METRIBUZIN 70% WP
 METSULFURON METHYL 10% + CHLORIMURON ETHYL 10% WP
 METSULFURON METHYL 20% WP
 OXYFLOURFEN 23.5% EC 
PARAQUATE DICHLORIDE 24% SL 
PENDIMETHALIN 30% EC 
PERTILACHLOR 30.7% EC 
PERTILACHLOR 50% EC 
PIROXOFOP-PROPANYL(CLODINAFOP-PROPARGYL) 15% WP 
SULFOSULFURON 75% WG 
TRIFLURALIN 48% EC 


गेहू में लगने वाले रोग

रस्ट 

येल्लो ,ब्लैक ,ब्राउन 

कंडवा रोग,

करनाल बंट  ----- एग्रो सोम     2.5 ग्राम/ किलो

पाउडर मेल्दु, ----VITAVAX से बीज उपचार करे | 2 ग़ं / प्रति किलो

इस प्रकार के रोगों से बचने के लिए आपअच्छी तरह के फफूंदीनाशक से बीज को उपचारित कर ही बोये|

इससे बीज की अंकुरण क्षमता बडती है जो उपज में बडोतरी करती है |

गेहू के पोषक तत्व

MACRO NUTRIENT --      NITROGEN,PHOSPHORUS,POTASSIUM,

 MICRO  NUTRIENT--      SULPHUR,BORON,COPPER,IRON,MANGANESE,ZINC,MAGNESIUM

इन पोषक तत्वों की कमी से गेहू की फसल में कही प्रकार की कमिय देखी जा सकती है इन कमियों को दूर करे के लिए आप अपने खेत में फसल के अपशिष्ट को नही जलाये व उन को खेतो में ही गहरी जुताई कर के मिला दे 








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