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सीरियल क्रॉप्स Organic farming,How does organic farming has brought a change in income?

Organic farming
Organic farming in Krishna delta area
How does organic farming has brought a change in income?
Can we use methane in organic farming? 
सीरियल क्रॉप्स की उपज अधिक तथा दलहनी फसल के उपज कम क्यो होती हैं 
सीरियल क्रॉप्स
सीरियल क्रॉप्स

 
सीरियल क्रॉप्स की उपज के कारण

श्री विधि से धान की खेती कैसे करें

 धान की अधिक पैदावार के उपाय

 श्री विधि क्या है

 कृषि कैसे की जाती है

पुराने जमाने में खेती कैसे होती थी

धान की रोपाई

कृषि के बारे में जानकारी
 
सीरियल क्रॉप्स की उपज अधिक आती है दलहनी क्रॉप्स से क्यू की सीरियल क्रॉप्स में सघनता अधिक होती है 
जेसे की आप कको पता है की सीरियल क्रॉप्स गेहू,जो,मक्का,बाजरा,धान, आदि है वेसे ही दलहनी क्रॉप्स चना,
मूंग,उडद,अरहर,मसूर,है इन फसलो में रबी व खरीफ दोनों तरह की क्रॉप्स है जो दोनों मोसम में बोई जाती 
है दलहनी फसल से सीरियल क्रॉप्स की उपज इस लिए भी अधिक आती है क्यू की दलहनी फसलो को पानी की 
आवश्यकता कम होती है और इन को अधिकतर सूखे इलको व क्षेत्रो में उगाया जाता है इस कारण इन को पोषक
तत्व समान मात्रा में नही मिल पाते है जिस कारन इनकी उपज भार कम होती है वही दलहनी फसलो में अधिक 
नमी के कारण रोग अधिक लगते है साथ ही इन में खरपतवारो का प्रभाव भी अधिक होता है जिस कारण इन 
में उन को समय पर रोक नही पाते है वही सीरियल क्रॉप्स में खरपतवारो के नियत्रण के लिए बाजार में काफ़ी सरे 
रसायन उपलब्ध है व सीरियल क्रॉप्स की जल मांग भी अधिक होती है व जड़े दलहनी फसलो से अधिक गहरी जाती 
है जो जमीन में से अधिक उर्वरक व पोषक तत्वों को उपलब्ध करती है और दानो में वजन बडाती है     
कृष्णा डेल्टा क्षेत्र में जैविक खेती

  जेविक खेती आज के इस दोर में खेती करने के बहुत से तरीके आप के सामने है पर सुरक्षित कोनसा है ये बहुत कम लोगो को पता है इसी कारण लोगो में अलग अलग प्रकार की बिमारिय देखने को मिलती है यही कारण है की खेती कोनसी सही है जेविक या रसायनिक  इन दोनों  खेतियो में रात दिन का फर्क है इन दोनों में काफ़ी मात्रा में खर्च का बड़ा अंतर व उत्पाद का भी अंतर है जेसे 

जेविक खेती - इस प्रकार की खेती में रसायनों का प्रयोग नही किया जाता इस खेती में पुराने तरीको से खेती की जानती है जिसमे देसी खाद, गोबर,मूत्र,नीम,सरसों,अरण्डी आदि की खली, व उन जेविक उत्पादों का प्रयोग किया जाता है जिनका अपघटन फसल व  भूमि में न की बराबर हो ये सभी कारक भूमि को उपजाऊ बनाते है जिससे फसल की बडवार अची रहती है व पोधे पर किसी भी प्रकार का कोई रासयनिक प्रभाव नही पड़ता | जेविक खेती में सिर्फ कार्बनिक तत्वों का प्रयोग किया जाता है

                                                   इस प्रकार की खेती में उत्पाद व उपज कम निकलती है परन्तु गुणवता अधिक होती है जिस से बिमारिय कम होती है  व मानव  स्वास्थ्य अच्छा बना रहता है 

 


रसायनिक खेती -  इस प्रकारखेती को अकार्बनिक खेती या रसायनिक खेती कहते है ये जेविकखेती से अधिक मुनाफा व उपज अधिक देती है इस प्रकार की खेती में फोधो में रसायनों का प्रयोग किया जाता है जिसमे कुछ रसायन ऐसे भी है जिंक असर कहि वर्षो तक खेत फसल व फल ,सब्जियों में कहि दिनों तक रहता है जिसके परिणाम बहुत ही गलत आते है इस खेती को लोग इस लिए अधिक प्रयोग कर रहे है इस में कम लागत व समय में अच्छी फसल प्राप्त की जा सकती है 


जैविक खेती ने आय में बदलाव कैसे लाया है?

 

जैविक खेती  से  किसानो व मानव स्वास्थय में काफ़ी सुधार देखने को मिल रहे है जेविक खेती से कृषि उत्पाद का मूल्य काफ़ी अच्छा 
मिलता है जेविक खेती को लोग इस लिए भी अपना रहे है की इस खेती से प्राप्त सब्जिय, दाले, तेल, अनाज, 100 प्रतिशत शुद्ध होता है 
इस का स्वास्थय पर कोई प्रभाव नही पड़ता है इस फसल का बाजार मूल्य भी अच्छा होता है क्यू की जेविक खेती में गुणवता अच्छी और
 मेहनत बहुत अधिक होती है इस में किसी भी प्रकार का कोई रसायन प्रयोग नही किया जाता है गावं के लोग आज भी जेविक खेती करते है 
जिस से उनकी आय में काफी सुधार आया है साथ ही व दूध का भी अच्छा उत्पादन करते है जिस से उन की नकद आया में बदोतरी हुई है  
 जैविक खेती ने आय में बदलाव  गावं व सहरी क्षेत्र में इस प्रकार की खेती को आसानी से किया जा सकता है व इस फसल में खर्च कम परन्तु
मजदुर लागत अधिक आती है इस कारण इस खेती से प्राप्त सब्जिय,अनाज, दाले,व तेल महगे होते है जो बाजार में बहुत कम मिलते है इसी 
कारण जैविक खेती से  आय में बदलाव  आया है |
 
क्या हम जैविक खेती में मिथेन का उपयोग कर सकते हैं? 
 हम जैविक खेती में मिथेन का उपयोग कर सकते हैं क्यू की पशुओं से खाद के साथ-साथ जीवाणुओं द्वारा खाद में निहित कार्बनिक 
पदार्थों के अवायवीय अपघटन के कारण पशुधन खाद मीथेन को जारी रखता हैखेतों और चरागाहों पर जमा खाद भी महत्वपूर्ण मात्रा में
 मीथेन बनाता है जो जेविक खेती में पोधो के लिए बहुत जरूरी है इस से रंध्रावकास खुल जाते है जो पोधे को जल,OXYGEN,व अन्य खाद 
को तुरंत मिलता है  
 
सीरियल क्रॉप्स की उपज अधिक तथा दलहनी फसल के उपज कम क्यो होती हैं 
 
Krishna delta region in organic farming

Krishna delta region in organic farming

Javic farming is in front of many ways of farming in this thread today, but there is a safe consort, very few people
 know this, that is why different types of diseases are seen in people, this is the reason that farming is right. Javik or
 technical is a matter of day and night in both these forms, there is a big difference in the amount of expenditure and 
difference of product in both of them.
Javic farming - chemicals are not used in this type of farming. In this farming, it is known to cultivate the old way in
 which indigenous manure, cow dung, urine, neem, mustard, castor, etc. are used, and those biological products 
are used. All these factors whose decomposition is not equal in the crop and land, make the land fertile, 
due to which the crop's crop remains well and there is no chemical effect of any kind on the plant. In organic 
farming only organic elements are used. 
                                                  In this type of farming, product and yield are low, but the quality is high,
 due to which the disease is low and human health remains good. 
 
Chemical farming - This type of farming is called inorganic farming or chemical farming. It gives more profit
 and yield than javikheti. In this type of farming, chemicals are used in Fodho, in which some chemicals are
 also like zinc, the crop crop for years. Fruits and vegetables stay for a few days, the results of which are very 
wrong, people are using this farming more for this, in this, a good crop can be obtained in less cost and time.
 
Due to organic farming, farmers and human health are seeing a lot of improvement.

People are also adopting Jivik farming because vegetables, pulses, oil, grains, obtained from this farming are 100 percent pure.

It does not have any effect on health, the market price of this crop is also good. Hard work is very high, no chemical of any kind is
 used in this, people of the villages still cultivate javik.Due to which their income has improved significantly, and they also produce
 good milk, due to which their cash has changed.Organic farming changes the income, this type of farming can be done easily in 
the villages and in the Sahri region and the expenditure on this crop is less but Because of the high cost of labor, vegetables, 
grains, pulses and oil are expensive from this cultivation, which are very less available in the market.The reason is that there is a 
change in income from organic farming. |
 
Can we use methane in organic farming?

We can use methane in organic farming because of the manure from animals as well as the organic matter contained in 
the fertilizer by bacteria Livestock manure continues to produce methane due to anaerobic decomposition of substances. 
Manure stored on fields and pastures also has significant amounts It makes methane, which is very important for plants in jvik farming, 
this opens up starch growth,   which gives water to the plant, OXYGEN, and other manures Get immediately 
 land in Bankura for organic farming,organic farming at Noida city,needed for organic farming for family of four people for  
  •  How much area is needed for organic farming for family of four people for self use and what are the expenses?

  • Price of the land in Bankura for organic farming

  • PL share me the date and venue of certificate training course on organic farming at Noida
     
स्वयं के उपयोग के लिए चार लोगों के परिवार के लिए जैविक खेती के लिए कितना क्षेत्र आवश्यक है और खर्च क्या हैं?  परिवार के लिए जैविक खेती वर्धान है इस प्रकार की जेविक खेती के लिए 1000 sq/ फिट या अपनी खाली छत को हम काम में ले सकते है चार लोगो के लिए यही सबसे अच्छा है की अपनी जरूरत के हिसाब से जेविक खेती अपने घर की छत या बगीचे में कर सकते है इस में आप को अलग से कोई जमीन को किराये पर लेने की आवश्यकता नही होगी इस प्रकार की जेविक खेती में आप सब्जिय,मसाले,फल, आदि को सामिल कर सकते है ये सभी कम अवधि के पोधे है और इनकी देख भाल भी आसानी से कर सकते है इन को आसानी से गमलो,व आज के इस दोर को देखते हुए आप नई तकनीको का भी प्रयोग कर सकते है जो आप का खर्चा बड़ा सकते है इस लिए आप केवल देसी तरीका है जेविक खेती में प्रयोग करे  

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गेहू गेहू व जों  रबी की  फसले है इस कारण इन  दोनों फसलो में उगने वाला खरपतवार भी समान प्रकार का ही उगता है इन के खरपतवार को जड से खत्म नही किया जा सकता है इन फसलो में उगने वाले खरपतवार इस प्रकार है  खेत की जुताई जब खरीफ की फसल की कटाई हो जाती है तो खेत में पड़े अवशेष को जलाये नही व उस अवशेष को खेत में है ही कल्टीवेटर से खेत में मिला दे | इससे खेत में मर्दा की उर्वरक की मात्रा बढ जाती है | खेत की  जुताई 2-3 बार जरुर करे | गेहू की मुख्ये किस्मे 1482,LOK1,4037,4042,DBW303, WH 1270, PBW 723 & सिंचित व देर से बुवाई के लिए DBW173, DBW71, PBW 771, WH 1124,DBW 90 व HD3059 की बुवाई कर सकते हैं। जबकि अधिक देरी से बुवाई के लिए HD 3298  उर्वरक की मात्रा   DAP------ 17 से 20 किलो/बीघा                                 👈 seed treatmeant सोयाबीन यूरिया------25 से 35 किलो/बीघा                                                     👈 जैविक खेती की जानकारी| बुवाई व बीज दर खाली खेत में जुताई के बाद एक बार पिलवा कर 8 से 10 दिन का भथर आने तक छोड़ दे इस से बीज को उगने में आसानी होगी |बीज को खेत में डालने से

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