AGRICULTURE
Uniform in gram yield
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gram crop |
चना एक दलहनी फसल है इसकी वर्दी में बडोतरी व कमी हमआसानी से देख सकते है इन कमियों को दूर करने के लिए किसान सभी प्रकार के फफुन्दंनाशक,कीटनाशक,आधी का प्रयोग करता है पर उस को परिणाम नही मिल पाते क्यूकी सभी किसानो में कुछ बाते कॉम्मन होती है और वो ये की सभी एक जेसी दवा का प्रयोग करते है इसी कारण किसानो को चने में दवा के परिणाम नही मिलते |
सूखने की समस्या 👉 सरसों की नई किस्म से ह्रदय रोग नही होगा |
चनो में सूखने की समस्या बहुत ही अधिक नजर आती है क्यू की ये समस्या अधिक नमी क्र कारण आती है किसान कभी -2 जल्दी सिचाई क्र देतेहै जिसके कारण ये समस्या चने की फसल में काफी दिखती है ये समस्या खेत में बीज को 50 प्रतिशत तक कम कर सकती है इस समस्या से निपटने के लिए अच्छे से फफूंदीनाशक से बीज उपचार करे | ये समस्या चने की फसल में 2 बार आती है एक बार तो 15 से 20 दिन की फसल होने पर व एक बार 45 दिन से 65 दिनों में इस की रोकथाम निम्न प्रकार के नाशियो से की जा सकती है |
उपचार
क्लरोथायोनील,कार्बेन्डाजिम,मेकोज़ेब, आदि से बीज को उपचार करे व खेत में ये रोग दिखाई देने पर तुरंत | इन फफूंदीनाशको में से किसी एक के साथ दानेदार कीटनाशक का प्रोग करे इस प्रकार के फफूंदीनाशक से तुरंत आप की फसल मेंइस रोग की रोकथाम हो जाएगी | इस रोग को उकठा रोग भी कहते है |
वर्दी में कमी व बडोतरी AGRICULTURE
सुरुवातीदिनों मेंचने की वर्दी में कमी होती है इस लिएबहुत से किसान खेत में नत्रजन का व अन्य वर्दी कारको का प्रयोग करते है जिसे चने में वर्दी तो होती है पर कभी -2 ये वर्दी इतनी हो जाती है की फसल निचे गिरने लग जाती है जिस के कारण उपज में काफी गिरावट आजाती है इस गिरावट को रोकने के लिए किसान अलग -2 प्रकार के उपाए करने लग जाता है किन्तु बहुत से किसान भूल जाते है की ये समस्या किस कारण उत्पन हुई है और इस का व इलाज नही कर पते | इस समस्या को खेत में फेलने से रोकने के लिए paclobutrazol 23% एक विशेष प्रकार का पादप ग्रोथ प्रमोटर है काप्रयोग करे | चने में नत्रजन की मात्रा 60 दिनों में कफी बड जाती है इस लिए आप इसका प्रयोग अवश्य करे
चना
चना एक दलहनी फसक है जो मुख्य: भारत के शुष्क स्थानों जेसे पानी की समस्या वाले स्थनों पर अधिक मात्रा में बोया जाता है इसे रबी के मोसम में बोया जाता है |
चने को अलग अलग प्रकार के भोजन में प्रयोग किया जाता है इस लिए इस को दालो का राजा ( KING OF PULSE ) कहा जाता है
AGRICULTURE चने की खेती भारत के अलवा रूस,मिश्र,ईरान,रूमानिया,टर्की,में भी की जाती है |
AGRICULTURE भूमि :-
चने के लिए दोमट या भरी दोमट बलुई भूमि जहां पानी का निकास अच्छा हो वहा की जाती है |
किस्मे :-
पन्त-G,पूषा-256,K-850, ये तीनोकिस्मे 120-150 दिनों में तेयार हो जाती है |
खेत की तेयारी:-
दोगहरी जुताई ,एक लकड़ी का फांटा लगाकर खेत को अच्छा समतल करे|
बीज दर :-
बीज की मात्रा चने की 90-100 किलो/हक्टेर के आस/पास होती है |
बीज उपचार :-
बीज जनित रोग से बचने के लिए कार्बेन्डाजिम+मेन्कोजेब,क्लोरोथायोनील,थयोमेथोक्साम,पिप्रोनिल,अछी तरह के फफूंदीनाशक व रस चुस्क को मारने वाले केमिकल से करे
बुआई :-
जहा पर सिचाई की सुविधा न हो वहा पर चने की बुआई अक्टूबर अथवा तर्तीय सप्ताह में कर दे|सिचितक्षेत्र में चने की बुआई नवबर के दुसरे सप्ताह में कर दे व आवश्यकता के अनुसार कर दे |
खाद :-
चने की फल्स के लिए खाद व उर्वरक की मात्रा इस प्रकार है युरिया 10-12 KG गंधक की कमी वाले खेतो में जिप्सम बुआई के 15 दिन पूर्व भूमि में मिला दे |जस्ते की कमी वाले खेतो में जिक सल्फेट 25-30 किलो प्रति/हेक्टेयर खेत में प्रयोग करना चाइये |
AGRICULTURE सिचाई :-
पहली सिचाई 45-60 दिन के मध्य करना उचित रहता है दूसरी सिचाई 90-100 दिनो के मध्य जब फलियों में दाना भरने लग जाये|
निराई / गुड़ाई :-
बुआई के 25-30 दिनों बाद ही कर देना चाइये
चुटाई :-
जब पोधे की लम्बी 6-8 इंच की हो जाये तब शुरु कर देना चाहिए | इस से उपज में अधिक लाभ मिलता है ये चने की फसल में जरुर करना चाहिये |
खरपतवार नियन्त्रण :-
बथुआ,तिपतिया,कटीली,आदि पाए जाते है| पेंडामेथ्लिन का स्प्रे जब बुआई करे तब करे |
रोग :-
उकठा
झुलसा
AGRICULTURE किट - सेमिलुप्पर,फल छेदक,सफेद मक्खी,
मालामाल होने का उपाय
बच्चों में दूर होगी विटामिन-A की कमी
आप के लिए कुछ जरूरी जानकारी यहाँ पर है
शकरकंद से हो आय में बडोतरी
शकरकंद की इस नई किस्म से किसानो की आय में बडोतरी होना काफी अच्छासाबित हो रहा है क्यू की इस में सेहत को अच्छा रखने का गुण है जो किसानो को इसे बाजार में बेचने पर दुगनी आय दिला रही है,
इस में गाजर का तीन गुनाऔर पपीते का दोगुना विटामिन -A है जो किसानो इसे दवा वाली शकरकंद ख क्र बाजार में बेच रहे है |
डॉक्टरो
के मुताबित बच्चों में करीबन 60% तक विटामिन-A की कमी का खतरा है जो
बीमारि बडाता है यह शारिरीक, मानसिक, और अखो के विकास के लिए बहुत उपयोगी
है
AGRICULTURE किचन बगीचा
किचन गर्दन की शुरुआत करने के लिए घर पर जरूरी वस्तुओ का अच्छे से ध्यान रके |याद रहे आप किचन गार्डन लगा रहे है न की बड़ा बगीचा तो थोडा ध्यान रखे की अपने घर पर जगह कीतनी है उस जगह के हिसाब से ही पोधो का सही चुनाव करे |
पुदीना,धनिया, लहसून, हरी मिर्च, पालक,मेथी,जेसी सब्जिय घर पर आप आसानी से लगा सकते है बीजो को लगाने से पहले व बाद में पानी के साथ खाद जरुर डाले
Home Garden
अपने घर पर बगीचा लगाने के लिए हम को अच्छी जगह व दिवार जो खुली हो या तारो को हो ,आवश्यकता है क्यू की बगीचे में हम सब्जिय, फूल, फल, लगायेंग इनकी सुरक्षा भी जरूरी है, जिस जगह पर इन को हम लगायेंगे उस जगह पर कुतो,बिलियो, व अन्य पशुओ को नही जाने देना चाहिए इस से उन के बीज खराब हो सकते है,अगर हमे बगीचा घर की छथ पर लगाना है तो हमे गमलो व अन्य समान की जरूरत होगी , जेसे खुली छथ,सूरज की करनो वाली जगह,आदि |
बगीचे में हम टमाटर,मिर्च,
धनिया,लोकी,गोभी,आलू,गेंदा,गुलाब,सजावटी फुल,अदरक,जो कम समय में पक क्र
तेयार हो जाये व पोधे लगा सकते है आज कल बाजार में अलग अलग प्रकार के पोधे
बाजार में मिलते है सिर्फ उन को घर पर लाकर उन को जमीन में लगाना होता है
अधिक मेहनत करने की आवश्यकता नही होती,केवल उन को समय पर पानी व खाद देनी
होती है
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