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Hindi and English names of all the indian pulese crops Moth, Cowpea, Urad Vigno, Pawan, Masoor complete information

कुल ,उपकुल,जलवायु (Climate),

बीज दर 

 (Seed rate), 

किस्में (Varieties),

खाद व उर्वरक, 

रोग (Diseases),उपज  

agriculture supervisor 

फुल नोट्स हिंदी व इंग्लिश





 1. मोठ (विग्ना एकोनिटीफोलिया

 ) कुल लेंग्यूमिनेसी (  फेबेसी)
उपकुल- पेपीलिओनेसी
उत्पत्ति भारत ।
प्रोटीन 18 से 22.5 प्रतिशत
देश में क्षेत्र व उत्पादन में प्रथम स्थान है। राजस्थान का
राजस्थान में उत्पादन में प्रथम जिला है बीकानेर है।
सभी खरीफ दालों का अंकुरण उपरीभूमिक (एपिजियल) होता है। केवल अरहर को छोड़कर।

जलवायु (Climate) -

गर्म व अर्द्ध शुष्क जलवायु उपयुक्त
मोठ में सुखा सहन करने की शक्ति अधिक होती है ।

बीज दर (Seed rate) -
10 Kg/ha पयुक्त होती है।
बुआई दूरी ( Rx P) = 45 × 15 cm

किस्में (
Varieties) -
RMO-40 उत्तम तथा सूखा सहनशील किस्म है।
जड़िया, ज्वाला (जोबनेर से विकसित)
मरू वरदान (RMO-225). मरू बहार (RMO-435), RMO-257 काजरी मोठ-1 (CZM- 79), IPCMO- 912 (विकास)

खाद व उर्वरक
:
10-15 Kg/ha नाइट्रोजन व 30 Kg/ha फास्फोरस

रोग (Diseases)
-
1. पत्तीशिरा मोजेक (विषाणु रोग) - इस रोग का वाहक कीट- मोयला (Aphis
craccivora) है।

नियंत्रण डाइमिथोएट (रोगोर) 30 .सी दवा का @ 2ml प्रति/ली. पानी में छिड़काव करें।

2. चित्ती जीवाणु रोग -
नियंत्रण स्ट्रेप्टोसाइक्लीन @ 100 PPM या एग्रोमाइसीन 2mg/ली. की दर से छिड़काव करें।


शाकनाशी सभी दलहनी फसलों में बासालीन/पेन्डामेथालीन का प्रयोग करे।



उपज
- 69 क्विटल/हैक्टेयर

 



2. लोबिया (

 Lobla) – विग्ना साइनेन्शिस (कुल- लेग्युगिनेशी )

उत्पत्ति अफ्रिका

जंगली चंवला को विग्ना एन्क्यूकूलेटा कहते है। इसको चैवला या कॉऊ पी (Cow pea) भी कहते है।
चैवला को वैजिटेबिल मीट भी कहते है।
इसमें प्रोटीन 23 प्रतिशत होती है इसमें मिथियोनिन एमिनो अम्ल ज्यादा पाया जाता है।
यह गर्म जलवायु का पौधा है।
इसको दलहन, हरी सब्जी, हरी खाद, चारे व कवर क्रोप (मृदा काद रोकती है) के रूप में उगाते है।
चॅवला उत्पादन में देश में प्रथम स्थान उत्तर प्रदेश का है।

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बीज दर (Seed rate) -

सामान्य मृदा के लिए 15-20Kg/ha

दूरी 30 X 10cm.

भारी चिकनी मृदा के लिए 20-25 Kg/ha
चारे के लिए 25-30 Kg/ha

उन्नत किस्म (Improved varities ) -
R.S.- 9, GC 4, F.S - 68

सब्जी के लिए -
पूसा फाल्गुनी (बौनी किस्म)
पूसा बरसाती
पूसा दो फसली
काशी गौरी           
पूसा कोमल, पूसा ऋतुराज
दुर्गा क्रान्ति (RCV-7) SKRAU द्वारा विकसित किस्म है।

चारे के लिए -
'रश्मी जाइन्ट,
रोग (Disease) -
सिरसा 10
F.O.S. -1
1. मोजेक (वाइरस रोग) - नियंत्रण हेतु डायमिथोएट @ 0.2% का छिड़काव करें।
2. बेक्टेरियल ब्लाइट कॉपर ऑक्सीक्लोराइड @ 0.3% का छिड़काव करें।

 

 

3. उड़द (ब्लेक ग्राम) विग्ना मूंगो
 

कुल लैग्यूमिनेसी तथा स्वपरागित (C) पौधा है।
उत्पति भारत
इसमें प्रोटीन 24 प्रतिशत तथा कार्बोहाइड्रेट 60 प्रतिशत पाया जाता है।
भारत में उत्पादन में प्रथम स्थान महाराष्ट्र राज्य का है।
तथा राजस्थान में उत्पादन में प्रथम स्थान - बूँदी जिले का है।
अंकुरण- उपरिभूमिक (Epigeal) होता है।
उड़द में फास्फोरिक अम्ल अधिक पाया जाता है।
बॉस ने 1932 में विग्ना मूंगों को दो उपजातियों में बाटा है।

1. विग्ना मूंगों वैराइटी नाइजर इसके पौधे जल्दी पकते हैं।
2. विग्ना मूंगों वैराइटी विरिकीस इसकी फसल देर से पकती है।

बीजदर (Seed rate) -
सामान्यतः 12 से 15 Kg/ha पर्याप्त है।
लेकिन कोटा खण्ड के लिए 15-20 Kg/ha |

किस्मे (Varities) —
बरखा (RBU-38), कृष्णा, पन्त यू-19 (75 दिन में पक जाती है)
पन्त यू-30, T-9, IPU-2000 TAU-2

 

 

 

 

 

 


4. मूंग (Green gram/golden gram) -  

विगना रेडिएटा
कुल
मूंग का नया नाम फेसियोलस ओरेंस है।
उपकुल- पेपिलियोनेसी
उत्पत्ति- भारत
गुणसुत्र- 2n = 24

मूंग कैच क्रोप (Catch crop) के रूप में भी उगाई जाती है।
मूंग में प्रोटीन 25% कार्बोहाइड्रेट 60% 1.3% तक वसा पाई जाती है।
भारत में सबसे अधिक मूंग उत्पादन मध्यप्रदेश में होता है।
जबकी राजस्थान में नागौर में अधिक होता है।

जलवायु (Climate)
वर्षा ऋतु का पौधा है (60-70 दिन में फसल पक कर तैयार हो जाती
जायद में भी उत्पादन लिया जाता है।

मृदा (Soil)
दोमट मृदा उपयुक्त है जिनका जल निकास अच्छा हो ।

बुआई

  जून जुलाई (खरीफ)

जायद 10- 20 मार्च

कतार से कतार व पौधे से पौधे की दूरी 30 x 10 cm रखते है।

बीज दर (Seed rate) -
16-20Kg/ha.

बीज उपचार FIR विधि द्वारा राइजोबियम कल्चर के 3 पैकेट /हैक्टेयर ।
अंकुरण उपरिभूमिक (epigeal) होता है।
स्वपरागित फसल है।

किस्में (Varieties) -

K- 851 दाना मोटा चमकीला (जल्दी पकने वाली 60-65 दिन में) यह किस्म जायद व खरीफ व केच फसल हेतु उपयुक्त ।

→ SMI 668 (PAU लुधियाना से विकसित शुष्क खेती के लिए नई

किरम है जो 80 65 दिन में पक कर तैयार हो जाती है) जायद व
खरीफ हेतु उपयुक्त। पूसा वैशाखी (टाईप-44) LARI 1998 में Type-1 x Type - 49 से प्राप्त
है जो केच फसल (Catch Crop) के लिए अति उत्तम है।
→ RMG-268
→ RMG-344 (धनु)
एम.यू.एम. 2 ( अधिक उपज देने वाली किस्म है।)
गंगा- 1 (स्थानीय नाम जमनोत्री), गंगा- 8 (स्थानीय नाम गंगोत्री) दोनों किस्में सिंचित व असिंचित खेती के लिए उपयुक्त।
→ RMG-62 (खरीफ व जायद के लिए उपयुक्त)
→ Pant Mung-1
→ PDM - 11
→ IPM-203
→ S-9 (देरी से बुआई हेतु उपयुक्त)
शीला, सुनैना, मोहिनी (S-8), वर्षा
गन्ने के साथ इंटर क्रॉपिंग के लिए पूसा वैशाखी या टाईप 44 उपयुक्त है।


सिंचाई ( Irrigation) -
प्रथम सिंचाई 20 से 25 दिन पर करते हैं,
द्वितिय सिंचाई फूल आने से पूर्व फली बनते समय करतें है।

फल्यूक्लोरेलीन (बैसालिन) @ 1 kg/ha PPI (बुआई से 2-10 दिन पूर्व प्रयोग करें।)

या पेन्डीमैथालिन 1 Kg/ha 1000 ली. पानी में अंकुरण से पूर्व प्रयोग करें।

पादप संरक्षण
1. चित्ती जीवाणु रोग
गहरे भूरे रंग के धब्बे पहले पत्तों पर बाद में तने पर दिखाई देते है।
एग्रीमाईसीन या कॉपर ऑक्सीक्लोराइड @ 0.3 प्रतिशत का छिड़काव करें। अथवा स्ट्रेप्टोसाइक्लीन 15g/ha का छिड़काव करें।

2. पीला मोजेक
यह वाइरस द्वारा होता है व वाइरस का संहवन सफेद मक्खी द्वारा होतामूंग, उड़द व चंवला का मुख्य रोग है।

3. लीफ कर्ल या पर्णकुंचन रोग
यह वाइरस द्वारा होता है व वाइरस का संहवन सफेद मक्खी द्वारा होता है।
मूंग, उड़द व चंवला का मुख्य रोग है।

4.सरकोस्पोरा पत्ती धब्बा रोग
कार्बेन्डाजिम व टोपसिन @ 2 ग्राम प्रति ली. पानी के साथ स्प्रे करें।

उपज (Yield) -
5-10 क्विंटल / हेक्टेयर ।

कीट (Insect) -
1 तना मक्खी (यूजोफोरा पारसीयला) व कातरा
नियंत्रण मैलाथियान 50 EC @ 1.5ml प्रति लीटर पानी में छिड़काव करें।

 

5. मसूर (Lentil)
वानस्पतिक नाम- लेन्स एस्कुलेन्टा
कुल लेग्यूमिनेसी
उत्पत्ति भारत
विश्व में उत्पादन व क्षेत्रफल में भारत का प्रथम स्थान है।
यह विश्व की सबसे पुरानी दलहन फसल है।
भारत में उत्पादन व क्षेत्रफल में उत्तरप्रदेश राज्य का प्रथम स्थान है।
राजस्थान में उत्पादन व क्षेत्रफल में भरतपुर जिले का प्रथम स्थान है। मसुर में प्रोटीन 25 प्रतिशत पाया जाता है।
मसूर स्व-परागित फसल है।
मसूर दीर्घ दिवस प्रभावी पौधा है।
दाल वाली फसलों में सबसे ज्यादा नाइट्रोजन स्थिरीकरण क्षमता पाई..जाती है।

जलवायु (Climate) –ठण्डा एवं शुष्क अधिक सर्दी सहन करने की क्षमता ।

मृदा (Soil) -
जलोढ मृदा उपयुक्त है।

किस्में (Varities) -
टाईप - 36, शिवालिक, DPL (प्रिया), मल्लिका, सपना,
गरीमा, IPL 81, PantL-406 पन्त L - 629

बीजदर (Seed rate) -
30 से 40 kg/ha सामान्य बुआई हेतु।
बुवाई 15 अक्टूबर से 15 नवम्बर तक।


व्याधियाँ

1. विल्ट फ्युजेरियम स्पेशिज 2. पाऊडरी मिल्ड्यू (Powdery mildew )
उपज 20-25 क्विटल प्रति हेक्टेयर ।

 

 

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