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मार्च, 2025 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

फल के पौधे लगाने की कई विधियाँ होती हैं। इनमें से कुछ प्रमुख विधियाँ |

 फल के पौधे लगाने की कई विधियाँ होती हैं। इनमें से कुछ प्रमुख विधियाँ नीचे दी गई हैं: 1. बीज द्वारा (Seed Propagation) इस विधि में फल का बीज बोकर पौधा उगाया जाता है। ✅ फायदे : सस्ता, प्राकृतिक और सरल तरीका। ❌ नुकसान : अधिक समय लगता है, और कभी-कभी गुणवत्ता वैसी नहीं रहती जैसी माता-पिता पौधे की होती है। उदाहरण: आम, अमरूद, नींबू, कटहल। 2. कलम विधि (Cutting Method) इस विधि में पौधे की टहनी काटकर उसे मिट्टी या पानी में जड़ जमाने के लिए लगाया जाता है। ✅ फायदे : जल्दी बढ़ता है और मूल पौधे के गुण मिलते हैं। ❌ नुकसान : सभी पौधों में यह विधि काम नहीं करती। उदाहरण: अंगूर, अनार, गुलाब, बेर। 3. गूटी विधि (Air Layering) इस विधि में टहनी पर हल्की चीरा लगाकर उसमें मॉस या मिट्टी बांध दी जाती है। जब जड़ें बन जाती हैं, तो इसे काटकर अलग लगाया जाता है। ✅ फायदे : तेज़ी से बढ़ता है और गुणवत्ता बनी रहती है। ❌ नुकसान : श्रम-साध्य और थोड़ी मुश्किल विधि है। उदाहरण: लीची, नींबू, अमरूद। 4. ग्राफ्टिंग विधि (Grafting Method) इसमें एक अच्छे फल वाले पौधे की टहनी को किसी अन्य पौधे की जड़ या तने ...

फूल और फल झड़ने के कारण और उनके समाधान,फूल और फल झड़ने के मुख्य कारण

  फूल और फल झड़ने के कारण और उनके समाधान जब पौधों में फूल और फल समय से पहले गिर जाते हैं, तो इसका असर उत्पादन पर पड़ता है। यह कई कारणों से हो सकता है, लेकिन सही देखभाल से इसे रोका जा सकता है। 🌿 फूल और फल झड़ने के मुख्य कारण 1. पोषक तत्वों की कमी (Nutrient Deficiency) नाइट्रोजन (N), फॉस्फोरस (P), पोटाश (K), और बोरॉन (B) की कमी से फूल-फल गिरते हैं। बोरोन की कमी से फूल तो बनते हैं लेकिन फल नहीं टिकते। ✅ समाधान: मिट्टी की जांच कराएं और संतुलित उर्वरक दें। 1 ग्राम बोरेक्स (Boron) को 1 लीटर पानी में घोलकर छिड़कें। NPK 19:19:19 या 10:26:26 उर्वरक का उपयोग करें। 2. पानी की कमी या अधिकता (Water Stress) कम पानी मिलने से पौधा झुलस जाता है और फूल गिर जाते हैं। अधिक पानी देने से जड़ें सड़ सकती हैं और पौधा कमजोर हो जाता है। ✅ समाधान: गर्मी में सुबह-शाम पानी दें। बरसात में अतिरिक्त जल निकासी की व्यवस्था करें। ड्रिप सिंचाई का उपयोग करें ताकि पौधे को जरूरत के अनुसार पानी मिले। 3. कीट और रोग (Pests & Diseases) माहू (Aphids), थ्रिप्स (Thrips), जैसिड (Jassid) ...

फर्टिगेशन (Fertigation) फल के पौधों में कैसे किया जाता है,फर्टिगेशन करने के फायदे,फर्टिगेशन की प्रक्रिया (Step-by-Step Process)

  फर्टिगेशन (Fertigation) फल के पौधों में कैसे किया जाता है? Step-by-Step Process फर्टिगेशन (Fertigation) एक आधुनिक सिंचाई पद्धति है जिसमें पानी के साथ उर्वरकों (Fertilizers) को मिलाकर पौधों की जड़ों तक पहुँचाया जाता है। यह ड्रिप सिंचाई या स्प्रिंकलर सिस्टम के माध्यम से किया जाता है, जिससे उर्वरक की बर्बादी कम होती है और पौधे को पोषक तत्व समान रूप से मिलते हैं। 🌱 फर्टिगेशन करने के फायदे ✔ सटीक पोषक तत्व आपूर्ति – पौधों को जरूरत के अनुसार पोषक तत्व मिलते हैं। ✔ पानी और उर्वरक की बचत – कम पानी और कम खाद में अधिक उत्पादन मिलता है। ✔ जल्दी अवशोषण – उर्वरक जड़ों तक सीधे पहुंचते हैं, जिससे पौधे जल्दी बढ़ते हैं। ✔ कम श्रम – खाद डालने के लिए खेत में बार-बार जाने की जरूरत नहीं होती। 🌿 फर्टिगेशन की प्रक्रिया (Step-by-Step Process) 1️⃣ सिंचाई प्रणाली का चयन करें फर्टिगेशन के लिए सबसे अच्छा तरीका ड्रिप इरिगेशन (Drip Irrigation) है, क्योंकि इससे पानी और खाद सीधा जड़ों में जाता है। 2️⃣ सही उर्वरक का चयन करें फर्टिगेशन में केवल वे उर्वरक उपयोग किए जाते हैं जो पानी में 100%...

आम (Mango) की फसल की संपूर्ण देखभाल , आम में लगने वाले प्रमुख रोग और नियंत्रण (Mango Diseases & Their Control)

आम (Mango) की फसल की संपूर्ण देखभाल 🌳🥭 आम की खेती में सिंचाई, खाद, मिट्टी, उत्पादन और कीट-रोग प्रबंधन का सही ध्यान रखा जाए, तो बेहतर उपज प्राप्त की जा सकती है। 1️⃣ आम की सिंचाई (Irrigation of Mango Trees)💧 ✅ नए पौधों की सिंचाई: गर्मी में हर 7-10 दिन में हल्की सिंचाई करें। सर्दियों में 15-20 दिन में एक बार पानी दें। बरसात में सिंचाई न करें, लेकिन जल निकासी का ध्यान रखें। ✅ बड़े पेड़ों की सिंचाई: फूल बनने से पहले (दिसंबर-जनवरी) हल्की सिंचाई करें। फूल आने के बाद (फरवरी-मार्च) में बहुत अधिक पानी न दें, इससे फूल झड़ सकते हैं। फल बनने के दौरान (मार्च-अप्रैल) में 15-20 दिन के अंतराल पर पानी दें। कटाई से 1-2 महीने पहले पानी कम कर दें , ताकि फलों में मिठास बढ़े। ✅ ड्रिप सिंचाई (Drip Irrigation) के फायदे: पानी की बचत होती है। पौधों को लगातार नमी मिलती रहती है। उर्वरकों (Fertilizers) को ड्रिप से आसानी से दिया जा सकता है। 2️⃣ आम के लिए उपयुक्त खाद एवं उर्वरक (Mango Fertilizer Management) 🌿 सही मात्रा में खाद देने से आम का उत्पादन और गुणवत्ता बेहतर होती है। खाद का समय और मात्र...

केले की फसल की संपूर्ण जानकारी, केले की सिंचाई (Banana Irrigation),केले के लिए उपयुक्त मिट्टी और जलवायु (Best Soil & Climate for Banana)

  केले की फसल की संपूर्ण जानकारी 🌱🍌 केले की खेती में सिंचाई, खाद प्रबंधन, मिट्टी, उपज, रोग-कीट नियंत्रण का सही ध्यान रखना जरूरी है ताकि उत्पादन अधिक हो और गुणवत्ता अच्छी बनी रहे। 1️⃣ केले की सिंचाई (Banana Irrigation) 💧 ✅ केले की फसल को अधिक नमी की जरूरत होती है, लेकिन जलभराव नुकसानदायक होता है। सिंचाई का सही तरीका और समय फसल की अवस्था सिंचाई का अंतराल नए पौधे (0-2 महीने) हर 4-5 दिन में वृद्धि अवस्था (3-6 महीने) हर 7-10 दिन में गर्भधारण अवस्था (7-10 महीने) हर 10-15 दिन में कटाई से पहले (11-12 महीने) सिंचाई कम करें ताकि मिठास बढ़े ✅ ड्रिप सिंचाई के फायदे 50% पानी की बचत होती है। पौधों को सही मात्रा में नमी मिलती है। खरपतवार और बीमारियां कम होती हैं। 🚫 बरसात के समय जल निकासी का सही ध्यान रखें, क्योंकि अधिक पानी से जड़ें सड़ सकती हैं। 2️⃣ केले की खाद एवं उर्वरक (Banana Fertilizer Management) 🌿 केले को तेजी से बढ़ने और अच्छी गुणवत्ता वाले फल देने के लिए संतुलित खाद जरूरी है। उर्वरक प्रबंधन (Fertilizer Schedule) पौधे की उम्र गोबर...

फूल के पौधों में ड्रिप सिंचाई के फायदे, फूलों की खेती में ड्रिप सिंचाई सबसे प्रभावी तरीका है।

  फूल के पौधों में ड्रिप सिंचाई के फायदे 🌿💧 ड्रिप सिंचाई (Drip Irrigation) एक आधुनिक सिंचाई तकनीक है, जिसमें पानी को छोटे-छोटे नोजल्स (Emitters) के माध्यम से पौधों की जड़ों तक सीधा पहुँचाया जाता है। यह तरीका विशेष रूप से फूलों के पौधों (Floriculture) के लिए बहुत फायदेमंद है क्योंकि इससे पानी, उर्वरक और समय की बचत होती है। 🌱 1. पानी की बचत (Water Conservation) ✅ ड्रिप सिंचाई में 50-70% तक पानी बचता है क्योंकि पानी सीधा जड़ों में जाता है और वाष्पीकरण कम होता है। ✅ पानी धीरे-धीरे रिसता है, जिससे पौधों को लगातार नमी मिलती रहती है। ✅ बाढ़ सिंचाई (Flood Irrigation) की तुलना में कम पानी में अधिक उत्पादन मिलता है। 🌿 2. फूलों की गुणवत्ता में सुधार (Better Flower Quality) ✅ पानी और पोषक तत्व सही मात्रा में मिलने से फूल ज्यादा बड़े और सुंदर होते हैं। ✅ पौधे स्वस्थ रहते हैं, जिससे फूलों की रंगत, खुशबू और जीवनकाल बेहतर होता है। ✅ गुलाब, गेंदा, चमेली, रजनीगंधा जैसे फूलों में ड्रिप से अधिक उत्पादन होता है। 💧 3. उर्वरकों की बचत और समान वितरण (Efficient Fertilization - Fer...

भारत के उत्तर क्षेत्र में पीजीआर (प्लांट ग्रोथ रेगुलेटर्स) की विस्तृत जानकारी

🌾 *भारत के उत्तर क्षेत्र में पीजीआर (प्लांट ग्रोथ रेगुलेटर्स) की विस्तृत जानकारी* 1️⃣ पीजीआर (PGR) क्या हैं? 🌱 पीजीआर (Plant Growth Regulators) ऐसे रसायन या हार्मोन हैं जो पौधों की वृद्धि, विकास, फूल, फलधारण और परिपक्वता को नियंत्रित या प्रभावित करते हैं। इन्हें सामान्यतः पाँच मुख्य श्रेणियों में बाँटा जा सकता है: ऑक्सिन (Auxins) जिबरेलिन (Gibberellins) साइटोकाइनिन (Cytokinins) एथिलीन (Ethylene) एबसिसिक एसिड (Abscisic Acid) साथ ही, कुछ सिंथेटिक पीजीआर भी उपलब्ध हैं, जो पौधों के खास उद्देश्यों जैसे- रुकाव (Retardation), वृद्धि को बढ़ाना (Promotion) या फसल के गुणवत्ता सुधार के लिए काम आते हैं। 🌿✨ 2️⃣ पीजीआर की श्रेणियाँ व उनके कार्य 🧪 A. वृद्धि को प्रोत्साहित करने वाले (Growth Promoters) 🚀 ऑक्सिन (Auxins) उदाहरण: IAA (इंडोल-3-एसिटिक एसिड), IBA (इंडोल-3-ब्यूटायरिक एसिड), NAA (नेफ्थेलिन एसिटिक एसिड) भूमिका: जड़ों का विकास, कलियाँ तोड़ने में कमी, कलम (Cutting) से पौधा उगाने में सहायता। उपयोग: बीज अंकुरण बेहतर करने, कटिंग से जड़ें निकलवाने, फलों की गिरावट कम करने इत्यादि। जिबरेलिन (Gibb...

अलसी (Flax/Linseed) की फसल की प्रमुख किस्में, रोग और कीट निम्नलिखित हैं:

 अलसी (Flax/Linseed) की फसल की प्रमुख किस्में, रोग और कीट निम्नलिखित हैं: अलसी की प्रमुख किस्में: शुभ्रा यह किस्म जल्दी पकने वाली है और अच्छी पैदावार देती है। परबतपुर लोकल यह किस्म सूखा सहनशील होती है और विभिन्न जलवायु परिस्थितियों के लिए अनुकूल है। टी. 397 यह किस्म मध्यम अवधि में पकती है और तेल की अच्छी मात्रा देती है। एल. 9 यह किस्म ऊंचे क्षेत्रों के लिए उपयुक्त है और अधिक पैदावार देती है। एल. 18 यह जल्दी पकने वाली किस्म है और सूखा प्रतिरोधी है। एल. 55 यह किस्म उच्च तेल उत्पादन के लिए जानी जाती है। अलसी के प्रमुख रोग: झुलसा रोग (Alternaria Blight) पत्तियों और तनों पर गहरे भूरे धब्बे बनते हैं, जिससे पौधे कमजोर हो जाते हैं। जड़ गलन (Root Rot) यह रोग जड़ों को नुकसान पहुंचाता है, जिससे पौधे सूखने लगते हैं। तना गलन (Stem Rot) यह रोग तनों को गलाकर पौधे को कमजोर कर देता है। चूर्णी फफूंदी (Powdery Mildew) पत्तियों पर सफेद पाउडर जैसा दिखाई देता है, जिससे पौधे की वृद्धि रुक जाती है। एन्थ्रेक्नोज (Anthracnose) पत्तियों, तन...

मटर की फसल की प्रमुख किस्में, रोग और कीट निम्नलिखित हैं

  मटर की फसल की प्रमुख किस्में: अरकल (Arkel) यह किस्म जल्दी पकने वाली होती है और हरी मटर के लिए उपयुक्त है। बोनविले (Bonneville) यह किस्म उच्च पैदावार देने वाली है और ठंडे क्षेत्रों के लिए उपयुक्त है। आजाद पी-1 (Azad P-1) यह किस्म जल्दी पकती है और सूखा सहनशील होती है। पंत पी-42 (Pant P-42) यह किस्म मध्यम अवधि में पकती है और अधिक पैदावार देती है। जवाहर मटर-4 (Jawahar Matar-4) यह किस्म मध्य भारत के लिए उपयुक्त है और अच्छी गुणवत्ता के दाने देती है। कुणाल (Kunal) यह किस्म अधिक उपज देने वाली है और रोग प्रतिरोधी है। मटर के प्रमुख रोग: झुलसा रोग (Alternaria Blight) पत्तियों और तनों पर गहरे भूरे या काले धब्बे बनते हैं, जिससे पौधे कमजोर हो जाते हैं। पाउडरी मिल्ड्यू (Powdery Mildew) पत्तियों पर सफेद पाउडर जैसा पदार्थ बनता है, जिससे पौधे की वृद्धि रुक जाती है। रस्ट (Rust) पत्तियों पर छोटे-छोटे जंग के रंग के धब्बे बनते हैं। विल्ट (Wilt) यह रोग पौधों को सूखाकर मुरझा देता है, जिससे पौधा मर सकता है। डाउनी मिल्ड्यू (Downy Mildew) ...

मसूर फसल की प्रमुख किस्में, रोग और कीट निम्नलिखित हैं

  मसूर फसल की प्रमुख किस्में: एल. 9 (L-9) यह किस्म जल्दी पकने वाली है और सूखा सहनशील होती है। एल. 4076 (L-4076) यह किस्म मध्यम अवधि में पकती है और उच्च पैदावार देती है। एल. 4147 (L-4147) यह किस्म रोग प्रतिरोधी है और अच्छी उपज देती है। पंत एल. 639 (Pant L-639) यह किस्म ठंडे क्षेत्रों के लिए उपयुक्त है और अधिक बीज उत्पादन करती है। आई.पी.एल. 316 (IPL 316) यह किस्म जल्दी पकती है और सूखा प्रतिरोधी है। आई.पी.एल. 406 (IPL 406) यह किस्म अधिक उपज देने वाली है और विभिन्न जलवायु परिस्थितियों के लिए उपयुक्त है। मसूर के प्रमुख रोग: झुलसा रोग (Alternaria Blight) पत्तियों और तनों पर गहरे भूरे धब्बे बनते हैं, जो पौधे की वृद्धि को रोकते हैं। रस्ट (Rust) पत्तियों पर जंग के रंग के धब्बे बनते हैं, जिससे पौधा कमजोर हो जाता है। चूर्णी फफूंदी (Powdery Mildew) पत्तियों पर सफेद पाउडर जैसा पदार्थ बनता है, जिससे पौधा कमजोर हो जाता है। एन्थ्रेक्नोज (Anthracnose) यह रोग पत्तियों, तनों और बीजों पर काले धब्बे बनाता है। विल्ट (Wilt) यह रोग पौधे क...

शिमला मिर्कीच की किस्मे रोग किट व उपचार

  शिमला मिर्च की प्रमुख किस्में: पंत शिमला मिर्च (Pant Capsicum): यह किस्म भारत में विशेष रूप से उत्तर भारत में उगाई जाती है। इसके फल बड़े, मांसल और स्वाद में मीठे होते हैं। यह किस्म जल्दी पकने वाली और उच्च उपज देने वाली होती है। कृष्णा शिमला मिर्च (Krishna Capsicum): इस किस्म के फल आकार में बड़े होते हैं और यह किस्म गर्म जलवायु में भी अच्छे से उगाई जा सकती है। इसके फल हरे रंग के होते हैं और पकने पर लाल रंग के हो जाते हैं। गोविंद शिमला मिर्च (Govind Capsicum): यह किस्म एक उच्च उपज देने वाली किस्म है, जिसे अधिक गर्मी के मौसम में भी उगाया जा सकता है। इसके फल चमकदार और आकर्षक होते हैं। सम्राट शिमला मिर्च (Samrat Capsicum): यह किस्म मध्य भारत में उगाई जाती है। इसके फल बड़े होते हैं और इसमें कम बीज होते हैं, जो इसे बाजार में बेचने के लिए उपयुक्त बनाते हैं। कन्हैया शिमला मिर्च (Kanhaiya Capsicum): यह किस्म विशेष रूप से दक्षिण भारत में उगाई जाती है। इसके फल ठोस, मांसल और अच्छे आकार के होते हैं, जो उच्च बाजार मूल्य प्रदान करते हैं। शिमला मिर्च के प्रमुख रोग...

टमाटर की किस्मे रोग किट व उपचार

  टमाटर की प्रमुख किस्में: पंत टमाटर (Pant Tomato): यह किस्म उत्तर भारत में उगाई जाती है। इसके फल बड़े और लाल रंग के होते हैं। यह किस्म रोगों के प्रति प्रतिरोधी होती है और अच्छी गुणवत्ता देती है। कृष्णा टमाटर (Krishna Tomato): यह किस्म विशेष रूप से पश्चिमी भारत में उगाई जाती है। इसके फल मांसल होते हैं और स्वाद में भी अच्छे होते हैं। सम्राट टमाटर (Samrat Tomato): यह किस्म ठंडी जलवायु में उगाई जाती है और इसके फल गोल होते हैं। यह किस्म ज्यादा उपज देती है और पकने में जल्दी होती है। राजकुमार टमाटर (Rajkumar Tomato): यह किस्म एक मध्यावधि किस्म है, जो अच्छे आकार और रंग के साथ उच्च गुणवत्ता वाले फल देती है। राधा टमाटर (Radha Tomato): यह किस्म ठंडी जलवायु में उगाई जाती है। इसके फल बड़े होते हैं और यह विशेष रूप से बाजार में बिकने के लिए उपयुक्त होती है। टमाटर के प्रमुख रोग: फ्यूसारियम विल्ट (Fusarium Wilt): इस रोग में टमाटर के पौधे मुरझाने लगते हैं, पत्तियाँ पीली पड़ने लगती हैं और पौधे धीरे-धीरे सूखने लगते हैं। उपचार: प्रभावित पौधों को उखाड़कर नष्ट करे...

गिलकी की किस्मे रोग किट व उपचार

  गिलकी (Sponge Gourd) की प्रमुख किस्में: पंत गिलकी (Pant Gourd): यह किस्म विशेष रूप से भारत में उगाई जाती है और खासकर शीतल जलवायु में अच्छा विकास करती है। इसके फल लंबे और हल्के हरे होते हैं। यह किस्म रोग प्रतिरोधी और अधिक उपज देने वाली होती है। गोविंद गिलकी (Govind Gourd): इस किस्म के फल गहरे हरे होते हैं और आकार में लंबाई में बढ़ने के साथ मोटे होते हैं। यह किस्म गर्म जलवायु में उगाई जाती है और उच्च गुणवत्ता वाली होती है। राजकुमार गिलकी (Rajkumar Gourd): यह किस्म खासतौर पर दक्षिण भारत में उगाई जाती है। इसके फल गोलाकार और हल्के हरे होते हैं। यह किस्म जल्दी पकने वाली और अधिक उपज देने वाली होती है। सम्राट गिलकी (Samrat Gourd): यह किस्म उच्च गुणवत्ता और उत्कृष्ट आकार के फलों के लिए प्रसिद्ध है। इसके फल लंबे और सफेद होते हैं। यह किस्म बाजार में बेचने के लिए उपयुक्त होती है। शिवाजी गिलकी (Shivaji Gourd): यह किस्म छोटी और ताजगी में अच्छी होती है। इसके फल छोटे और हल्के हरे होते हैं। यह किस्म जल्दी पकने वाली और उपजाऊ होती है। गिलकी के प्रमुख रोग: फ्यूसार...

करेला की किस्मे रोग किट व उपचार

  करेला की प्रमुख किस्में: पंत करेला (Pant Karela): यह किस्म उत्तरी भारत में उगाई जाती है और विशेष रूप से ठंडी जलवायु में अच्छी होती है। इसके फल छोटे, हरे रंग के होते हैं और स्वाद में कड़वे होते हैं। यह किस्म रोग प्रतिरोधी होती है। कृष्णा करेला (Krishna Karela): यह किस्म गर्म जलवायु में उगाई जाती है और इसके फल लंबे और हल्के हरे रंग के होते हैं। इसका आकार बहुत अच्छा होता है और यह किस्म उच्च गुणवत्ता वाली होती है। गोविंद करेला (Govind Karela): यह किस्म मध्य भारत में उगाई जाती है और इसके फल लंबे होते हैं। यह किस्म रोग प्रतिरोधी होती है और उच्च उपज देने वाली होती है। सम्राट करेला (Samrat Karela): यह किस्म विशेष रूप से दक्षिण भारत में उगाई जाती है। इसके फल छोटे और गहरे हरे होते हैं। यह किस्म जल्दी पकने वाली और ज्यादा उपज देने वाली होती है। शिवाजी करेला (Shivaji Karela): यह किस्म विशेष रूप से ताजगी और स्वाद में अच्छी होती है। इसके फल लंबे और मोटे होते हैं, जो बाजार में बेचने के लिए उपयुक्त होते हैं। करेला के प्रमुख रोग: फ्यूसारियम विल्ट (Fusarium Wilt)...

लोकी की किस्मे रोग किट व उपचार

  लोकी की प्रमुख किस्में: पंत लौकी (Pant Lauki): यह किस्म विशेष रूप से ठंडी जलवायु में उगाई जाती है। इसके फल हल्के हरे और लम्बे होते हैं। यह किस्म ताजगी में अच्छी होती है और अधिक उपज देती है। कृष्णा लौकी (Krishna Lauki): इस किस्म के फल बड़े, हरे रंग के होते हैं और इसका आकार लंबा और चिकना होता है। यह किस्म जल्दी पकने वाली और उच्च गुणवत्ता वाली होती है। सम्राट लौकी (Samrat Lauki): यह किस्म खासतौर पर मध्यम जलवायु में उगाई जाती है। इसके फल गोलाकार और हरियाली में अच्छे होते हैं। यह किस्म उत्कृष्ट गुणवत्ता और अधिक उपज देने वाली होती है। आशा लौकी (Asha Lauki): इस किस्म के फल छोटे होते हैं और यह किस्म गर्मी के मौसम में अच्छी तरह उगती है। यह किस्म जल्दी पकने वाली और उपजाऊ होती है। राजकुमार लौकी (Rajkumar Lauki): यह किस्म हरे रंग के और बड़े आकार के फलों के लिए प्रसिद्ध है। यह किस्म उच्च गुणवत्ता वाली और रोग प्रतिरोधी होती है। लोकी के प्रमुख रोग: फ्यूसारियम विल्ट (Fusarium Wilt): इस रोग में लौकी के पौधे मुरझाने लगते हैं और पत्तियाँ पीली पड़ने लगती हैं। उ...

भिन्डी की किस्मे रोग किट व उपचार

  भिन्डी (ओकड़ा) की प्रमुख किस्में: पंत भिन्डी (Pant Okra): यह किस्म उत्तर भारत में उगाई जाती है और इसमें लंबी और हरी फलियाँ होती हैं। इसकी उपज अच्छी होती है और यह रोगों के प्रति प्रतिरोधी होती है। कृष्णा भिन्डी (Krishna Okra): यह किस्म प्रमुख रूप से पश्चिमी भारत में उगाई जाती है। इसके फल मांसल और अधिक उत्पादक होते हैं। यह गर्म और आर्द्र जलवायु में बेहतर उगती है। दिव्य भिन्डी (Divya Okra): यह किस्म छोटे आकार की होती है और इसमें अधिक संख्या में फल आते हैं। यह सर्दी और गर्मी दोनों मौसम में उगाई जा सकती है। मैजिक भिन्डी (Magic Okra): यह किस्म उपज में उच्च होती है और इसकी फलियाँ मांसल और चिकनी होती हैं। इसका स्वाद अच्छा होता है और यह अधिक पानी की आवश्यकता नहीं होती। बैंगनी भिन्डी (Purple Okra): यह किस्म खासकर दक्षिण भारत में उगाई जाती है। इसके फल बैंगनी रंग के होते हैं और यह पोषक तत्वों से भरपूर होती है। भिन्डी के प्रमुख रोग: फ्यूसारियम विल्ट (Fusarium Wilt): इस रोग में भिन्डी के पौधे मुरझाने लगते हैं और पत्तियाँ पीली पड़ने लगती हैं। उपचार: प्रभा...

बेगन की किस्मे रोग किट व उपचार

  बैंगन की प्रमुख किस्में: पंत बैंगन (Pant Brinjal): यह किस्म उत्तर भारत में लोकप्रिय है। इसका आकार बड़ा होता है और यह सर्दी और गर्मी दोनों में उगने के लिए उपयुक्त है। इसमें अच्छा रंग और आकार होता है। कृष्णा बैंगन (Krishna Brinjal): यह किस्म प्रोडक्शन में उच्च होती है और रंग में गहरा बैंगनी होता है। इसे विशेष रूप से मसालेदार पकवानों में उपयोग किया जाता है। दीपिका बैंगन (Deepika Brinjal): यह किस्म छोटी होती है और यह विशेष रूप से दक्षिण भारत में उगाई जाती है। इसका स्वाद अच्छा और टेंडर होता है। नायक बैंगन (Naik Brinjal): यह किस्म बड़ी होती है और इसकी उपज भी अच्छी होती है। यह आमतौर पर बाजार में बड़े आकार के बैंगन के रूप में बिकता है। हरी बैंगन (Green Brinjal): यह किस्म हरे रंग की होती है और इसका स्वाद हल्का होता है। यह विशेष रूप से उष्णकटिबंधीय जलवायु में उगाई जाती है। बैंगन के प्रमुख रोग: फ्यूसारियम विल्ट (Fusarium Wilt): इस रोग में बैंगन के पौधे मुरझाने लगते हैं और पत्तियाँ पीली पड़ने लगती हैं। उपचार: प्रभावित पौधों को उखाड़कर नष्ट करें। खेत मे...

धनिया की किस्मे रोग किट व उपचार

  धनिया की प्रमुख किस्में: कृष्णा धनिया (Krishna Coriander): यह किस्म उच्च गुणवत्ता वाली होती है और इसमें अधिक उत्पादन होता है। इसका उपयोग मसाले के रूप में किया जाता है और इसकी पत्तियाँ हरी और खुशबूदार होती हैं। नवीन धनिया (Naveen Coriander): यह किस्म मध्य भारत में उगाई जाती है और इसमें अच्छी उत्पादन क्षमता होती है। यह किस्म रोगों के प्रति अधिक प्रतिरोधी होती है। संगम धनिया (Sangam Coriander): यह किस्म दक्षिण भारत में उगाई जाती है और इसके पौधे मजबूत होते हैं, जिससे यह बीजों के लिए अच्छा उत्पादन देती है। असम धनिया (Assam Coriander): यह किस्म असम और पूर्वोत्तर भारत में उगाई जाती है। इसमें अच्छी पत्तियां और सुगंध होती है, जो मसाले के रूप में उपयोग की जाती हैं। पंत धनिया (Pant Coriander): यह किस्म उत्तर भारत में उगाई जाती है, जो अच्छे रंग और आकार के बीज देती है। धनिया के प्रमुख रोग: फ्यूसारियम विल्ट (Fusarium Wilt): इस रोग में धनिया के पौधे मुरझाने लगते हैं और पत्तियाँ पीली पड़ने लगती हैं। उपचार: प्रभावित पौधों को उखाड़कर नष्ट करें और मिट्टी में ...

मिर्च की किस्मे रोग किट व उपचार

  मिर्च की प्रमुख किस्में: कृष्णा मिर्च (Krishna Chilli) यह किस्म उच्च उत्पादकता वाली होती है और इसका रंग गहरा लाल होता है, जो विशेष रूप से मसालों के लिए उपयोगी है। भूत जोलोकिया (Bhut Jolokia) यह मिर्च दुनिया की सबसे तीखी मिर्चों में से एक मानी जाती है। इसे विशेष रूप से तीखे स्वाद के लिए उगाया जाता है और भारत में यह विशेष रूप से असम और नगालैंड में उगाई जाती है। लाल मिर्च (Red Chilli) यह किस्म भारत में प्रमुख रूप से उगाई जाती है और इसका उपयोग सूखी मिर्च के रूप में मसाले के रूप में किया जाता है। यह विविध आकार और रंगों में उपलब्ध होती है। ताम्र मिर्च (Tamra Chilli) यह किस्म बड़ी और मोटी मिर्चों की होती है, जो हरे रंग की होती है और पकने पर लाल हो जाती है। इसे फलों के रूप में खाया जाता है। हरी मिर्च (Green Chilli) यह किस्म ताजगी और स्वाद में उत्तम होती है। इसे कच्चा खाया जाता है और अधिकतर पकवानों में इस्तेमाल किया जाता है। मिर्च के प्रमुख रोग: फ्यूसारियम विल्ट (Fusarium Wilt) इस रोग में मिर्च के पौधे मुरझाने लगते हैं और पत्तियां पीली पड़ने लगती हैं।...