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भारत के उत्तर क्षेत्र में पीजीआर (प्लांट ग्रोथ रेगुलेटर्स) की विस्तृत जानकारी

🌾 *भारत के उत्तर क्षेत्र में पीजीआर (प्लांट ग्रोथ रेगुलेटर्स) की विस्तृत जानकारी*




1️⃣ पीजीआर (PGR) क्या हैं? 🌱
पीजीआर (Plant Growth Regulators) ऐसे रसायन या हार्मोन हैं जो पौधों की वृद्धि, विकास, फूल, फलधारण और परिपक्वता को नियंत्रित या प्रभावित करते हैं। इन्हें सामान्यतः पाँच मुख्य श्रेणियों में बाँटा जा सकता है:
ऑक्सिन (Auxins)
जिबरेलिन (Gibberellins)
साइटोकाइनिन (Cytokinins)
एथिलीन (Ethylene)
एबसिसिक एसिड (Abscisic Acid)
साथ ही, कुछ सिंथेटिक पीजीआर भी उपलब्ध हैं, जो पौधों के खास उद्देश्यों जैसे- रुकाव (Retardation), वृद्धि को बढ़ाना (Promotion) या फसल के गुणवत्ता सुधार के लिए काम आते हैं। 🌿✨

2️⃣ पीजीआर की श्रेणियाँ व उनके कार्य 🧪
A. वृद्धि को प्रोत्साहित करने वाले (Growth Promoters) 🚀
ऑक्सिन (Auxins)
उदाहरण: IAA (इंडोल-3-एसिटिक एसिड), IBA (इंडोल-3-ब्यूटायरिक एसिड), NAA (नेफ्थेलिन एसिटिक एसिड)
भूमिका: जड़ों का विकास, कलियाँ तोड़ने में कमी, कलम (Cutting) से पौधा उगाने में सहायता।
उपयोग: बीज अंकुरण बेहतर करने, कटिंग से जड़ें निकलवाने, फलों की गिरावट कम करने इत्यादि।
जिबरेलिन (Gibberellins)
उदाहरण: GA₃ (Gibberellic Acid), GA₄+₇
भूमिका: तने की लंबाई बढ़ाना, बीज अंकुरण, पुष्पन व फलों का आकार बढ़ाना।
उपयोग: अंगूर का गुच्छा बड़ा करना, गन्ने की कलम (Setts) के अंकुरण में सुधार, सब्जियों में पौधों की ऊँचाई व पत्तों की संख्या बढ़ाना।
साइटोकाइनिन (Cytokinins)
उदाहरण: BAP (Benzyl Amino Purine), Kinetin
भूमिका: कोशिका विभाजन को उत्तेजित करना, कलियों का विकास, देरी से पत्ती गिरना।
उपयोग: टिशू कल्चर, अंकुरण में तेजी लाना, सब्जी फसलों में शाखाओं की संख्या बढ़ाना।

B. वृद्धि को नियंत्रित/रोकने वाले (Growth Retardants) 🛑
क्लोरमेक्रट क्लोराइड (Chlormequat Chloride, CCC)
भूमिका: पौधे की अत्यधिक लंबाई को रोकना, पौधे को ठोस आधार देना (Lodging control)।
उपयोग: गेहूँ में पौधा गिरने से रोकना, बागवानी फसलों में नियंत्रित ऊँचाई के लिए।
मेपिक्वाट क्लोराइड (Mepiquat Chloride)
भूमिका: तने को कम लंबा करना, फसल में संतुलित वृद्धि।
उपयोग: कपास, सब्जी फसलों (कद्दूवर्गीय) में बढ़ी हुई लताओं को नियंत्रित करने के लिए।
पैसिक्वॉट (Paclobutrazol)
भूमिका: तने की वृद्धि कम करना, बागवानी फसलों में शीघ्र फलधारण।
उपयोग: आम (Mango) में बौर आने को नियमित करने, फल पकने के समय में नियंत्रण।

C. अन्य महत्वपूर्ण पीजीआर 🔍
एथिलीन (Ethylene) या इसके जनक पदार्थ
उदाहरण: इथेफ़ॉन (Ethephon / Ethrel)
भूमिका: पकाव में तेजी लाना, पत्ती व फल गिरना (Abscission) को प्रेरित करना, लैंगिक अभिव्यक्ति प्रभावित करना (कुकुरबिट फसलों में स्त्री/पुं फूल की संख्या)।
उपयोग: केला, आम, पपीता आदि में कृत्रिम पकाव, खीरा/कद्दूवर्गीय फसलों में स्त्री फूल बढ़ाने।
एबसिसिक एसिड (Abscisic Acid - ABA)
भूमिका: पत्ती व फल गिरने की प्रक्रिया (Abscission) को नियंत्रित करना, पौधे को तनाव (Stress) से बचाने में मदद।
उपयोग: सूखे या लवणीय मिट्टी की स्थिति में पौधे की सुरक्षा प्रतिक्रिया बढ़ाना।

3️⃣ उत्तर भारत में प्रमुख फसलों में पीजीआर के उदाहरण 🌾
1. गेहूँ (Wheat)
उद्देश्य: पौधे का गिरना (Lodging) रोकना, दाने की गुणवत्ता सुधारना।
उपयोगी पीजीआर:
क्लोरमेक्रट क्लोराइड (CCC): बुवाई के 30-35 दिन बाद स्प्रे करके तने की लंबाई नियंत्रित की जा सकती है।
जिबरेलिक एसिड (GA₃) (कम खुराक): कभी-कभी बीज उपचार में अंकुरण बढ़ाने हेतु।
2. धान (Paddy)
उद्देश्य: बेहतर कल्ले (Tillering), फसल की लंबाई का प्रबंधन, उच्च उपज।
उपयोगी पीजीआर:
साइटोकाइनिन (BAP): कल्ले बढ़ाने में सहायक।
इथेफ़ॉन (Ethrel): यदि पौधा अधिक लंबा हो तो कुछ हद तक नियंत्रण में मदद।
3. मक्का (Maize)
उद्देश्य: अंकुरण बेहतर करना, पौधे की वानस्पतिक वृद्धि प्रोत्साहित करना।
उपयोगी पीजीआर:
जिबरेलिक एसिड (GA₃): बीज उपचार के समय या शुरुआती स्प्रे से बेहतर अंकुरण व अधिक तना विकास।
साइटोकाइनिन: चूसक जड़ों (Adventitious roots) की वृद्धि बढ़ाकर पोषण अपटेक में सुधार।
4. गन्ना (Sugarcane)
उद्देश्य: कलम (Setts) का तेज अंकुरण, internodes की बेहतर वृद्धि, चीनी की मात्रा बढ़ाना।
उपयोगी पीजीआर:
जिबरेलिक एसिड (GA₃): कलम को भिगोकर अंकुरण बढ़ाने में सहायक, internodes की लंबाई बढ़ाने में भी उपयोगी।
एथिलीन जनक पदार्थ (Ethephon): परिपक्वता के समय किसी हद तक चीनी प्रतिशत बढ़ाने में मदद।
5. सब्जियाँ (Vegetables)
उद्देश्य: फूल व फल की संख्या बढ़ाना, फल गिरना कम करना, जल्दी पकाव।
उपयोगी पीजीआर:
NAA (नेफ्थेलिन एसिटिक एसिड): टमाटर, बैंगन, मिर्च में फल की गिरावट कम करने व फल सेट बढ़ाने के लिए।
इथेफ़ॉन (Ethrel): खीरा, लौकी आदि कुकुरबिट फसलों में स्त्री फूलों की संख्या बढ़ाने, फल का जल्दी पकाव।
साइटोकाइनिन (Kinetin/BAP): पौधे में नई शाखाएँ व कलियाँ बढ़ाने के लिए।
6. दलहनी फसलें (Pulses)
उद्देश्य: अंकुरण और नाइट्रोजन फिक्सेशन बढ़ाना, फूल व फलियों की संख्या बढ़ाना।
उपयोगी पीजीआर:
जिबरेलिन: बीज उपचार से अंकुरण तीव्र होता है।
साइटोकाइनिन: अतिरिक्त शाखाओं व फली लगने की संभावना बढ़ जाती है।
7. फलदार फसलें व बागवानी (Mango, Citrus, Grapes आदि) 🍇🍊
उद्देश्य: फूल व फलों का बेहतर सेट, फल का आकार बढ़ाना, एकसमान पकाव, समय पर बौर आना।
उपयोगी पीजीआर:
पैसिक्वॉट (Paclobutrazol): आम में बौर को नियमित करने के लिए तने में मृदा ड्रेंच।
जिबरेलिन (GA₃): अंगूर के गुच्छों को बड़ा करने, खट्टे फलों (Citrus) में आकार व गुणवत्ता सुधार।
NAA: सेब व अन्य फलों में पतला (Thinning) करने या समय से फल पकने हेतु।

4️⃣ सर्वोत्तम परिणाम के लिए टिप्स ✅
🔹 सही समय का चयन ⏰
बीज उपचार: जिबरेलिन या साइटोकाइनिन से बीज भिगोने पर अंकुरण बेहतर हो सकता है।
शाकीय बढ़वार की अवस्था: क्लोरमेक्रट या मेपिक्वाट जैसे रेगुलेटर्स तभी लगाएँ जब पौधा अत्यधिक लंबा हो रहा हो या आवश्यकता हो।
फूल व फल सेट की अवस्था: NAA, साइटोकाइनिन, एथिलीन आदि का छिड़काव सही समय पर करें।
🔹 सही खुराक (डोज़) ⚖️
लेबल या अनुसंधान इकाइयों द्वारा सुझाई गई खुराक का ही पालन करें।
कम डोज: आंशिक लाभ।
अधिक डोज: पौधे को नुकसान या अनचाहे प्रभाव।
🔹 मिश्रण क्रम व जार टेस्ट 🧪
यदि कोई पीजीआर किसी अन्य कृषि रसायन (उर्वरक, कीटनाशक) के साथ मिलाना हो तो पहले छोटा जार टेस्ट कर लें।
क्रम: पानी → पाउडर (यदि हो) → तरल पीजीआर।
🔹 पानी की गुणवत्ता 🚰
pH 5.5-6.5 के बीच रहे तो बेहतर असर मिलता है।
गंदा या कठोर पानी पीजीआर की प्रभावशीलता घटा सकता है।
🔹 मौसम संबंधी ध्यान ☀️🌧️
छिड़काव के दौरान हवाएँ धीमी हों (10 किमी/घं से कम) और बारिश का अनुमान न हो।
अत्यधिक धूप या तापमान के समय स्प्रे करने से वाष्पीकरण तेज होता है → असर घट जाता है।




*धन्यवाद*....✍️
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