मटर की फसल की प्रमुख किस्में:
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अरकल (Arkel)
- यह किस्म जल्दी पकने वाली होती है और हरी मटर के लिए उपयुक्त है।
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बोनविले (Bonneville)
- यह किस्म उच्च पैदावार देने वाली है और ठंडे क्षेत्रों के लिए उपयुक्त है।
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आजाद पी-1 (Azad P-1)
- यह किस्म जल्दी पकती है और सूखा सहनशील होती है।
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पंत पी-42 (Pant P-42)
- यह किस्म मध्यम अवधि में पकती है और अधिक पैदावार देती है।
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जवाहर मटर-4 (Jawahar Matar-4)
- यह किस्म मध्य भारत के लिए उपयुक्त है और अच्छी गुणवत्ता के दाने देती है।
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कुणाल (Kunal)
- यह किस्म अधिक उपज देने वाली है और रोग प्रतिरोधी है।
मटर के प्रमुख रोग:
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झुलसा रोग (Alternaria Blight)
- पत्तियों और तनों पर गहरे भूरे या काले धब्बे बनते हैं, जिससे पौधे कमजोर हो जाते हैं।
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पाउडरी मिल्ड्यू (Powdery Mildew)
- पत्तियों पर सफेद पाउडर जैसा पदार्थ बनता है, जिससे पौधे की वृद्धि रुक जाती है।
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रस्ट (Rust)
- पत्तियों पर छोटे-छोटे जंग के रंग के धब्बे बनते हैं।
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विल्ट (Wilt)
- यह रोग पौधों को सूखाकर मुरझा देता है, जिससे पौधा मर सकता है।
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डाउनी मिल्ड्यू (Downy Mildew)
- पत्तियों के नीचे सफेद धब्बे बनते हैं, जिससे पौधा कमजोर हो जाता है।
मटर के प्रमुख कीट:
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अफीदा (Aphids)
- ये कीट पौधों का रस चूसते हैं, जिससे पत्तियां मुरझा जाती हैं।
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कटवर्म (Cutworm)
- यह कीट पौधों के तनों को काटकर उन्हें गिरा देता है।
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पॉड बोरर (Pod Borer)
- यह कीट फलियों को खाकर बीजों को नुकसान पहुंचाता है।
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लीफ माइनर (Leaf Miner)
- यह कीट पत्तियों में सुरंग बनाकर उन्हें नुकसान पहुंचाता है।
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थ्रिप्स (Thrips)
- ये कीट पत्तियों का रस चूसते हैं और पत्तियों को सिकुड़ने लगते हैं।
इन रोगों और कीटों की रोकथाम के लिए फसल चक्र, जैविक विधियों और कीटनाशकों का सही उपयोग करना आवश्यक है।
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