करेला की प्रमुख किस्में:
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पंत करेला (Pant Karela): - यह किस्म उत्तरी भारत में उगाई जाती है और विशेष रूप से ठंडी जलवायु में अच्छी होती है। इसके फल छोटे, हरे रंग के होते हैं और स्वाद में कड़वे होते हैं। यह किस्म रोग प्रतिरोधी होती है।
 
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कृष्णा करेला (Krishna Karela): - यह किस्म गर्म जलवायु में उगाई जाती है और इसके फल लंबे और हल्के हरे रंग के होते हैं। इसका आकार बहुत अच्छा होता है और यह किस्म उच्च गुणवत्ता वाली होती है।
 
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गोविंद करेला (Govind Karela): - यह किस्म मध्य भारत में उगाई जाती है और इसके फल लंबे होते हैं। यह किस्म रोग प्रतिरोधी होती है और उच्च उपज देने वाली होती है।
 
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सम्राट करेला (Samrat Karela): - यह किस्म विशेष रूप से दक्षिण भारत में उगाई जाती है। इसके फल छोटे और गहरे हरे होते हैं। यह किस्म जल्दी पकने वाली और ज्यादा उपज देने वाली होती है।
 
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शिवाजी करेला (Shivaji Karela): - यह किस्म विशेष रूप से ताजगी और स्वाद में अच्छी होती है। इसके फल लंबे और मोटे होते हैं, जो बाजार में बेचने के लिए उपयुक्त होते हैं।
 
करेला के प्रमुख रोग:
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फ्यूसारियम विल्ट (Fusarium Wilt): - इस रोग में करेले के पौधे मुरझाने लगते हैं, और पत्तियाँ पीली पड़ जाती हैं।
- उपचार: प्रभावित पौधों को उखाड़कर नष्ट करें और खेत में अच्छे जल निकासी का ध्यान रखें। कॉपर सल्फेट या कार्बेंडाजिम का छिड़काव करें।
 
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ब्लाइट (Blight): - यह एक फफूंदी जनित रोग है, जिसमें पौधों के तने और पत्तियाँ सड़ने लगती हैं।
- उपचार: प्रभावित पौधों को हटा दें और फेनमीडिन या थायफेंथेट-मेथाइल जैसे फफूंदी नाशकों का छिड़काव करें।
 
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एरियोलियस (Anthracnose): - इस रोग में करेले के फल पर काले धब्बे बन जाते हैं, और फल सड़ने लगते हैं।
- उपचार: प्रभावित फलों को हटा दें और थिरम या फेनमीडिन का प्रयोग करें।
 
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मोजेक वायरस (Mosaic Virus): - इस रोग में करेले की पत्तियाँ मुड़ी हुई और मोजेक जैसी दिखाई देती हैं।
- उपचार: प्रभावित पौधों को उखाड़कर नष्ट करें और कीटनाशकों का प्रयोग करें।
 
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पाउडरी मिल्ड्यू (Powdery Mildew): - इस रोग में करेले की पत्तियों पर सफेद धूल जैसा पदार्थ जमा हो जाता है, जिससे पत्तियाँ मुरझाने लगती हैं।
- उपचार: प्रभावित पत्तियों को हटा दें और थियोफेनेट-मिथाइल या बायोफुंगसाइड का छिड़काव करें।
 
करेला के प्रमुख कीट:
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करेला की इल्ली (Caterpillar): - यह कीट करेले के पत्तों और तनों को खाता है, जिससे पौधे कमजोर हो जाते हैं।
- उपचार: इस कीट से बचाव के लिए स्पिनोरेस या अज़ादिरैक्टिन का प्रयोग करें।
 
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करेला का एफिड (Cucumber Aphid): - यह कीट करेले के पौधों के रस को चूसता है, जिससे पौधों की वृद्धि रुक जाती है और पत्तियाँ सिकुड़ने लगती हैं।
- उपचार: एफिड्स से बचाव के लिए इमिडाक्लोप्रिड या एसीफेट जैसे कीटनाशकों का छिड़काव करें।
 
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करेला का थ्रिप्स (Thrips): - यह कीट करेले के पौधों के रस को चूसता है, जिससे पत्तियाँ सिकुड़ने लगती हैं।
- उपचार: थ्रिप्स से बचाव के लिए स्पिनोरेस या साइपरमाथ्रिन का छिड़काव करें।
 
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करेला का माइट (Mite): - यह कीट करेले की पत्तियों का रस चूसता है, जिससे पत्तियाँ मुरझाने लगती हैं।
- उपचार: माइट्स से बचाव के लिए पर्मेथ्रिन या अफीड्स जैसे कीटनाशकों का छिड़काव करें।
 
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करेला का मोल (Maggot): - यह कीट करेले के फल में घुसकर उसे खाता है, जिससे फल सड़ने लगते हैं।
- उपचार: बुवाई से पहले खेत की मिट्टी में इंडोक्साकार्ब या मेथोमाइल का उपयोग करें। प्रभावित फलों को हटा दें और नष्ट करें।
 
उपचार के सामान्य उपाय:
- सिंचाई प्रणाली: करेले की फसल में जल निकासी का ध्यान रखें, क्योंकि पानी का जमा होना रोगों का कारण बन सकता है।
- फसल चक्र: फसल चक्र का पालन करें, जिससे भूमि में पोषक तत्वों की कमी न हो।
- साफ-सफाई: खेतों में घास और अवशेषों को साफ रखें ताकि कीट और रोगों के प्रकोप से बचा जा सके।
- जैविक उपचार: जैविक कीटनाशकों और फफूंदी नाशकों का प्रयोग करें जैसे नीम तेल, बायोफुंगसाइड, और बायो कीटनाशक (जैसे बीटी)।

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