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सरसों की नई किस्म से ह्रदय रोग नही होगा |
भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान ने सरसों के ऐसी किस्म को विकसित किया है जिसमे न सिर्फ अच्छा उत्पादन होगा ,इस का तेल भी बहूउपयोगी होगा यानि बहुत गुणों वाला तेल जो सेहत में बहुत ही आरामदायक होगा व सेहत अच्छीरखेगा |
इस का नाम पूसा MUSTERD -32 है अभी वाली सरसों के तेल में फेटि ऐसीड की मात्रा 42% ( इसे इरुसिक ऐसिड कहते है ) ये ह्रदय से जुडी बीमारिया अधिक होती है
पूसा MUSTERD -32 के तेल में फेटि ऐसीड की मात्रा 2% से कम होती है , जो ह्रदय से जुडी बीमारियों को पैदा नही करता है |
सरसों के तेल में फेटि ऐसीड की मात्रा 42%
02% से भी कम है नई किस्म में एसीड 👉 अपनी इन आदतो को कहे ना
25 किवंटल / प्रति हक्टेर है उत्पादन इससे
1.16 लाख की आय हो सकती है प्रति हक्टेर
किसानो की आय में बडोतरी
न्यूनतम समर्थन मूल्य 4650 रुपया प्रति किवंटल है इस सरसों से प्रति हेक्टर उपज 1.16 लाख रूपए की आय इस सरसों से देश के लोगो की सेहत अछी रहेगी ,तो दूसरी और किसानो की आय में सुधार होगा |
अन्य किस्मे
मस्टर्ड डबल जीरो -31
मस्टर्ड डबल जीरो -31 सरसों में ( इरुसिक ऐसिड ) में ऐसिड की मात्रा 2 फीसदी कम होती है सामान्य सरसों की प्रति ग्राम खली में ग्लुकोसिनोलेट की मात्रा 120 माइक्रोमोल है जबकि पूसा -31 में माइक्रोमोल कम है | ग्लुकोसिनोलेट एक सल्फर कम्पाउंड होता है इस का प्रयोग उन पशुओ के लिए नही किया जाता जो जुगाली करते है |
इन्हें भी होगा फायदा 👉फसलो में इनका नही करे उपयोग
दक्षिण के किसान भी क्र सकते है इस सरसों की खेती पूसा -31 की खेती 100 दिनों में हो जाती है और इस के तेल को गर्म करने पर झाग भी कम आते है इस कारण भी किसान इस को अपना सकते है इस का बीज पूसा संस्था व कृषि विज्ञानं केंद्र से भी ले सकते है
The name of this is Pusa MUSTERD-32, the amount of fetti acid in the current mustard oil is 42% (it is called erucic acid), it is more heart related diseases
Nice
जवाब देंहटाएंNice information
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