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Blue Mold Disease (ब्लू मोल्ड रोग) एक फफूंद जनित रोग है, ब्लू मोल्ड डिज़ीज़: फसलों के लिए छुपा हुआ ख़तरा,फसलों की दुश्मन 'ब्लू मोल्ड'

 Blue Mold Disease (ब्लू मोल्ड रोग) एक फफूंद जनित रोग है जो मुख्य रूप से फल-सब्ज़ियों को विशेष रूप से संग्रहण (storage) के दौरान प्रभावित करता है। यह रोग नीला-हरा फफूंद (blue-green mold) लगने के कारण जाना जाता है।





यह रोग विशेष रूप से संतरा, नींबू, सेब, नाशपाती, अंगूर तथा अन्य फल और कुछ सब्ज़ियों को भंडारण या ट्रांसपोर्ट के समय प्रभावित करता है।ब्लू मोल्ड डिज़ीज़: फसलों के लिए छुपा हुआ ख़तरा""ब्लू मोल्ड बीमारी क्या है? कारण, लक्षण और बचाव के उपाय""ब्लू मोल्ड से बचाएं अपनी फसलें – जानिए असरदार उपाय""ब्लू मोल्ड डिज़ीज़: किसानों के लिए जरूरी चेतावनी""फसलों की दुश्मन 'ब्लू मोल्ड' – सम्पूर्ण जानकारी""ब्लू मोल्ड बीमारी पर नियंत्रण कैसे पाएँ?"ब्लू मोल्ड क्या है और यह आपकी फसलों को कैसे नुकसान पहुँचाती है?"


🔍 ब्लू मोल्ड रोग की संपूर्ण जानकारी (हिन्दी में)


🦠 रोग का कारण (Causal Organism):

  • रोगजनक फफूंद: Penicillium italicum

  • कुछ मामलों में: Penicillium expansum


🌿 कहाँ होता है ये रोग?

  • यह रोग कटे, फटे या चोटिल फलों पर जल्दी फैलता है।

  • अधिक नमी और कम तापमान में फफूंद तेजी से बढ़ता है।


⚠️ लक्षण (Symptoms):

  • फल की सतह पर नीले या नीले-हरे रंग का फफूंद दिखाई देता है।

  • संक्रमित स्थान पर फल नरम, गीला और सड़ने लगता है।

  • रोगग्रस्त फल से असामान्य दुर्गंध आने लगती है।

  • फफूंद फैलते हुए अन्य फलों को भी संक्रमित कर सकता है।


📦 भंडारण के समय लक्षण:

  • फल सड़ जाते हैं।

  • सतह पर मखमली जैसी फफूंदी बनती है।

  • यह रोग धीरे-धीरे एक फल से दूसरे में फैलता है।


रोग कैसे फैलता है?

  • संक्रमित फलों के संपर्क से।

  • भंडारण कक्ष या पैकिंग सामग्री से।

  • चोटिल या कटे-फटे फलों से संक्रमण तेजी से फैलता है।


नियंत्रण और रोकथाम के उपाय:


🧼 1. साफ-सफाई बनाए रखें:

  • फल तुड़ाई के समय सावधानी बरतें, कोई चोट न लगे।

  • भंडारण स्थान को नियमित रूप से साफ और सूखा रखें।


🧪 2. रासायनिक नियंत्रण:

  • फलों को Sodium bicarbonate (बेकिंग सोडा) के घोल में डुबाना (1%)।

  • फलों को Benomyl, Imazalil, या Thiabendazole जैसे फफूंदनाशकों से उपचारित करना।

  • Calcium chloride (CaCl₂) का उपयोग भी फल की सड़न कम करने में सहायक है।


🌡️ 3. भंडारण और तापमान नियंत्रण:

  • फलों को ठंडी और सूखी जगह पर रखें।

  • तापमान: 0-5°C और आर्द्रता: 85-90% उपयुक्त रहती है।


🧃 4. जैविक उपाय (Biological Control):

  • Pseudomonas spp., Bacillus spp., और Yeast-based bioagents से भी रोग नियंत्रण में मदद मिलती है।


🎯 रोकथाम के उपाय (Preventive Measures):

  1. ताज़ा और चोट-रहित फलों की तुड़ाई करें।

  2. फलों की पैकिंग से पहले उन्हें फफूंदनाशक घोल से डुबोएं।

  3. भंडारण कंटेनर, टोकरियां और कक्षों की कीटाणु-नाशक से सफाई करें।

  4. फलों को न ज़्यादा समय तक स्टोर करें, न ही उन्हें गीली जगह पर रखें।



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