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हरी मटर के उपयोग,बुवाई की तैयारी,बुवाई का तरीका,सिंचाई और खाद प्रबंधन,कीट और रोग नियंत्रण

*हरी मटर प्रोटीन, फाइबर, विटामिन C, K और एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर एक पोषक तत्वों का खजाना है। यह न केवल इम्यूनिटी बढ़ाने में मदद करती है, बल्कि पाचन को सुधारने और दिल को मजबूत बनाए रखने में भी सहायक है। कम कैलोरी और हाई फाइबर की वजह से यह वजन को नियंत्रित रखने के लिए आदर्श विकल्प है!*




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हरी मटर एक पौष्टिक और स्वादिष्ट सब्जी है, जिसे कई तरह से पकाया और खाया जाता है। यह विटामिन ए, बी, सी और के, फाइबर, और प्रोटीन का अच्छा स्रोत है। इसे ताजी मटर के रूप में या सूखी मटर (ड्राई पीज़) के रूप में उपयोग किया जाता है।

हरी मटर के उपयोग:

  1. सब्जी में: आलू-मटर, पनीर-मटर या मटर की तहरी जैसे व्यंजनों में।
  2. सूप: मटर सूप पौष्टिक और स्वादिष्ट होता है।
  3. स्नैक्स: मटर को भूनकर हल्के मसाले के साथ नाश्ते में खाया जा सकता है।
  4. पुलाव: मटर पुलाव बच्चों और बड़ों दोनों को पसंद आता है।
  5. मटर पराठा: स्टफिंग के रूप में मटर का उपयोग किया जाता है।

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हरी मटर की खेती करना काफी लाभदायक और सरल हो सकता है, क्योंकि यह ठंडे मौसम में आसानी से उगाई जा सकती है। यह फसल कम समय में तैयार हो जाती है और मिट्टी की उर्वरता को बनाए रखने में भी मदद करती है।

हरी मटर की खेती के लिए आवश्यक जानकारी

जलवायु और मिट्टी

  1. जलवायु: मटर ठंडे मौसम की फसल है। इसकी बुआई अक्टूबर से दिसंबर तक की जाती है। 10-25 डिग्री सेल्सियस तापमान इसके लिए आदर्श है।
  2. मिट्टी: दोमट मिट्टी (loamy soil) मटर की खेती के लिए सबसे उपयुक्त है। अच्छी जलनिकासी (drainage) वाली मिट्टी होनी चाहिए। मिट्टी का pH स्तर 6-7 के बीच होना चाहिए।

बुवाई की तैयारी

  1. खेत की तैयारी: मिट्टी को अच्छी तरह से जोतकर समतल बना लें।
  2. बीज की तैयारी: उन्नत किस्म के बीज जैसे पूसा प्रगति, पूसा 10, अर्का जवाहर आदि का चयन करें। बुवाई से पहले बीज को 12 घंटे पानी में भिगोएं।
  3. बीज उपचार: बीज को फफूंदनाशक (Fungicide) और राइजोबियम कल्चर से उपचारित करें।

बुवाई का तरीका

  1. बीज की बुवाई कतारों में करें।
  2. कतार से कतार की दूरी 30-40 सेमी और पौधे से पौधे की दूरी 5-10 सेमी रखें।
  3. बीज को 3-5 सेमी गहराई पर बोएं।

सिंचाई और खाद प्रबंधन

  1. सिंचाई: बुवाई के तुरंत बाद हल्की सिंचाई करें। ठंडे मौसम में 10-15 दिन के अंतराल पर सिंचाई करें।
  2. खाद: खेत में जैविक खाद (गोबर की खाद) और नाइट्रोजन, फॉस्फोरस और पोटाश युक्त उर्वरक डालें।

कीट और रोग नियंत्रण

  1. आम कीट: चूषक कीट, एफिड्स और लीफ माइनर।
    • नियंत्रण: नीम तेल का छिड़काव करें।
  2. रोग: उखटा रोग (Fusarium Wilt), पाउडरी मिल्ड्यू।
    • नियंत्रण: रोग प्रतिरोधी बीज का उपयोग करें और फफूंदनाशक का छिड़काव करें।

कटाई और उपज

  1. कटाई: मटर की फली बुवाई के 60-90 दिन बाद तैयार हो जाती है। जब फली हरी और कोमल हो, तभी तोड़ें।
  2. उपज: उन्नत तकनीक से खेती करने पर प्रति हेक्टेयर 80-100 क्विंटल उपज हो सकती है।

आर्थिक लाभ

हरी मटर की मांग हमेशा बनी रहती है, जिससे किसानों को अच्छा लाभ मिलता है। इसे ताजा, फ्रोजन या सूखी मटर के रूप में बेचा जा सकता है।

अगर आप किसी खास समस्या या जानकारी के बारे में पूछना चाहें, तो बेझिझक बताएं! 😊

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