- जीवित बीजो को अंकुरण के लिए आवश्यक सभी दशायेउपलब्ध होने पर भी अंकुरण नही होना बीज की सुसुप्था अवस्था कहलाती है
- बीजो में सुसुप्था अवस्था आन्तरिक तथा बाहरी कारणों से होंती है
- जंगली जाई में तीन प्रकार की सुसुप्था अवस्था पाई जाती है
सीड डोरमेंसी को दूर करने में उपयोग की जाने वाली विधिया
खुरचना ( scarification)
बीज की भरी परत को रसायनिक, यांत्रिक एवम् तापीय विधियों द्वारा तोड़ने या खुरचते है जीससे बीजो का सख़त आवरण टूटने से पानी एवम गेस का विनिमय होता है
KNO3 ( 1-3 % ) घोल --- बिच की बाहरी परत को तोड़ने का काम में लेते है
थायो यूरिया (1%) एवम GA के छिडकाव से आलू की सीड डोरमेंसी को दूर करना (सुसुप्था अवस्था)
स्ल्फुरिक एसिड से कपास बीजो (1 : 10 ) को 20 मिनट तकउपचारित कर सकत आवरण हटाते है
गर्म जल द्वारा -75 से 100 * C
चिलिंग तापमान से उपचारित करना ( stratification)
इस विधि मेंबीजो को बोने से पूर्व 2-8*C तापमान में 12 -24 घन्टे तक रखते है
सीड व प्लांटर में अंतर
सीड -ऐसा भ्रण जो जल,वायु,सूर्य प्रकाश आदि मिलने पर क्रियाशिल होकर एक नये पोधे को जन्म या विकास
होउसे बीज सीड कहते है
प्लांटर -ऐसे अंकुरित पोधे जिनको पहले छोटे -छोटे घमलो में उगाया जाता है व बाद में उनको बगीचों या खेतो में लगाया जाता है प्लान्टर होते है
सीड थेरेपी
सीड ( बीज ) को अलग अलग प्रकार के रसायनों से उपचार कर के सुरक्षाप्रधान की जाती है ताकि बीज स्वस्थ रहे सीड थेरेपी होती है
केंद्र के सीड कहाँ मिलता ह?
यह किसी विकसित होने वाली किस्म का सुरुआती बीज है
इसे स्वयं प्रजनक द्वारा krshi विश्वविद्यालय एवम् अनुसंधानकेन्द्रों में उत्पादित किया जाता है
सीड प्रोडक्शन टेक्नोलॉजी इन हिंदी
सीड प्रोडक्शन टेक्नोलॉजी से आज के इस युग में सीड कि अनेक किस्मो को उत्पन किया जा रहा है जो किसानो के लिए काफ़ी हद तक अच्छा है इस से किसानोकी आया में बडोतरी हुई साथ ही किसानो को सीड डर में भी काफ़ी फायेदा हुआ है सीड प्रोडक्शन टेक्नोलॉजी का मुख्य कार्यअच्छी गुणवता वाले सीड्स को तेयार करना है
- colour and texture of need seeds
- Is it necessary y to water the cardimom seeds after planting?
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