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जनवरी, 2021 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

AGRICULTURE SEEDS TREATMEANT METHODS (बीज उपचार के तरीके ) TNAU इंडिया

 AGRICULTURE सीड  ट्रीटमेंट इन हिंदी ,गेहू का बीज उपचार,जेविक बीज उपचार, जेलोरा  से बीज उपचार, सोयाबीन बीज उपचार बिजौपचार,धान का बीज उपचार,  सुरक्षित   फसल का आधार कृषि में सबसे महत्वपूर्ण बीज है अच्छी फसल व उपज के लिए अच्छा बीज व किस्म का सबसे अच्छा होना जरूरी है क्यू की किसान सबसे अधिक खर्च बीज में करता है हमेसा अच्छी किस्म का बीज ही प्रयोग करना चाहिए | कभी भी बीज की किस्म व बीज की मात्रा में कंजूसी नही करनी चाहिए | खेत बेहतर किस्म का बीज प्रयोग करने से हमेसा बीज की किस्म अच्छी बनी रहती है जो आज के इस स्थर पर बहुत ही जरूरी है क्यू की आज के इस दोर में बहुत सारी बड़ी कंपनियों ने आय के स्रोत देख लिए है अभी भी कही प्रकार के बीज जो प्रमाणित बीज होने के बाद भी किस्मो में खरे नही उतरते है | उन में भी कभी कभी उगने मे समस्या आ जाती है यही कारण है की आज कल बीज को प्रमाणित व सही कम्पनी से लेने के बाद भी उस बीज की अंकुरण क्षमता को   परख लेना चाहिए व हम एक सबसे बड़ी गलती करते है बीज को उपचार नही करके |बीज को उपचार नही करना ही सबसे बड़ी भूल है |बीज को उपचार नही करने से बहुत सी बीमारियों को नियंत्

चने की उपज में वर्दी व कमी के कारण ?|| Uniform in gram yield AGRICULTURE

  AGRICULTURE   Uniform in gram yield 👈 👉 gram crop   चना एक दलहनी फसल है इसकी वर्दी में बडोतरी व कमी हमआसानी से देख सकते है इन कमियों को दूर करने के लिए किसान सभी प्रकार के फफुन्दंनाशक,कीटनाशक, आधी का प्रयोग करता है पर उस को परिणाम नही मिल पाते क्यूकी सभी किसानो में कुछ बाते कॉम्मन होती है और वो ये की सभी एक जेसी दवा का प्रयोग करते है इसी कारण किसानो को चने में दवा के परिणाम नही मिलते | सूखने की समस्या                                                       👉  सरसों की नई किस्म से ह्रदय रोग नही होगा | चनो में सूखने की समस्या बहुत ही अधिक नजर आती है क्यू की ये समस्या अधिक नमी क्र कारण आती है किसान कभी -2  जल्दी सिचाई क्र देतेहै जिसके कारण ये समस्या चने की फसल में काफी दिखती है ये समस्या खेत में बीज को 50 प्रतिशत तक कम कर सकती है इस समस्या से निपटने के लिए  अच्छे से फफूंदीनाशक से बीज उपचार करे | ये समस्या चने की फसल में 2 बार आती है एक बार तो 15 से 20 दिन की फसल होने पर व एक बार 45 दिन से 65 दिनों में इस की रोकथाम निम्न प्रकार के नाशियो से की जा सकती है |  उपचार क्लरोथायोनील,कार्बेन्ड

सरसों की नई किस्म से ह्रदय रोग नही होगा | The new variety of mustard will not cause heart disease.

 सरसों की नई किस्म से ह्रदय रोग नही होगा | भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान ने सरसों के ऐसी किस्म को विकसित किया है जिसमे न सिर्फ अच्छा उत्पादन होगा ,इस का तेल भी बहूउपयोगी होगा यानि बहुत गुणों वाला तेल जो सेहत में बहुत ही आरामदायक होगा व सेहत अच्छीरखेगा |  इस का नाम पूसा MUSTERD -32 है अभी वाली   सरसों के तेल में फेटि ऐसीड की मात्रा 42% ( इसे इरुसिक ऐसिड कहते है ) ये ह्रदय से जुडी बीमारिया अधिक होती है  पूसा MUSTERD -32 के तेल  में  फेटि ऐसीड की मात्रा 2% से कम होती है ,   जो ह्रदय से जुडी बीमारियों को पैदा नही करता है | सरसों के तेल में फेटि ऐसीड की मात्रा 42%  02% से भी कम है नई किस्म में एसीड                                       👉  अपनी इन आदतो को कहे ना 25 किवंटल / प्रति हक्टेर है उत्पादन इससे 1.16 लाख की आय हो सकती है प्रति हक्टेर किसानो की आय में बडोतरी न्यूनतम समर्थन मूल्य 4650 रुपया प्रति किवंटल है  इस सरसों से प्रति हेक्टर उपज 1.16 लाख रूपए की आय इस सरसों से देश के लोगो की सेहत अछी रहेगी ,तो दूसरी और किसानो की आय में सुधार होगा |  अन्य किस्मे मस्टर्ड डबल जीरो -31  मस्टर्ड डबल ज